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________________ प्रतिपादन करते हैं, जिसके अभ्यास से राग-द्वेष और मोहभाव नष्ट होता है, अपने विशुद्ध आत्मस्वरूप में रुचि जाग्रत होती है। विषयानुराग रूप अशुभोपयोग में ले जाने से रोकने वाला और राग-द्वेष से रहित निरुपराग रूप शुद्धोपयोग पाने की ललक पैदा करने वाला अरहंत-भगवान् के प्रति जो शुभ राग है, धर्मानुराग है, वही तीर्थंकर-प्रकृति के अर्जन में सहायक है। रावण का पहले दशानन नाम था। दशानन का अर्थ दसमुख वाला था, ऐसा मत ले लेना। वास्तव में वह विद्याधर था। जन्म के उपरान्त उसके गले में जो रत्नों की माला पहनायी गई थी, उसमें जो दस रत्न थे, उन सभी में रावण का चेहरा दिखाई देता था, सो बचपन में ऐसा दशानन नाम रख दिया गया। एक बार दशानन जब यात्रा के लिये अपने विमान से जा रहा था, तो कैलाश पर्वत पर उसका विमान आकाश में ही रुक गया, आगे नहीं बढ़ सका। उसने विमान को नीचे उतारा तो पर्वत की एक शिला पर बालि मुनिराज तपस्या करते हए दिखे। बालि मनिराज को देखकर रावण के मन में प्रतिशोध का भाव जग गया। रावण को एक बार पहले बालि के पराक्रम के सामने झुकना पड़ा था। अब रावण ने बदला लेने की सोची और विद्या के माध्यम से पर्वत को उखाड़कर फेंकने की तैयारी करने हेतु पर्वत के भीतर घुस गया। मुनिराज के मन में कैलाश पर्वत पर बने जिनालयों की रक्षा का भाव आया, सो धीरे-से पर्वत को स्थिर करने के लिये अपने पैर के अंगूठे से दबा दिया। रावण मुश्किल में पड़ गया। तपस्या की सामर्थ्य के आगे विद्या का जोर नहीं चलता। पर्वत सहित रावण नीचे दबने लगा और जोर से रोने-चिल्लाने लगा। तभी संस्कृत की व्युतपत्ति के अनुसार “रोने वाला यानी रावण" ऐसा उसका नाम पड़ गया। मन्दोदरी ने मुनिराज से क्षमा माँगी, तब रावण बच पाया। बाहर आते ही रावण ने बालि मुनिराज से क्षमा माँगी और अरहंत भगवान् की भक्ति में लीन हो गया। इतना लीन हो गया कि वीणा का तार टूटने पर विद्या के माध्यम से अपने हाथ की नश को ही तार के स्थान पर बांधकर भक्ति करता रहा। कहते हैं कि इसी अर्हद्-भक्ति के फलस्वरूप उसे आगामी समय में तीर्थंकर पद की प्राप्ति होगी। जो विषय-कषाय में रत रहता है, वह धर्म्यध्यान का पात्र नहीं बन पाता। 0 790
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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