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________________ हटाया हटाने के बाद जो निकला, उसको देखकर ग्लानि के मारे भग गया। तो यह लोकमूढ़ता की ही बात है। लोकमूढ़ता की कितनी बातें बतायें। कोई पुरुष मुर्दा का हाड़, नख आदि नदी तक पहुँचाने में उसकी मुक्ति मानते हैं। अब देखो लोकमूढ़ता की बात कि वह तो मरने के बाद जहाँ जन्म लेना था ले लिया। हाड़, नख आदि तो जुदी चीजें हैं। उन्हें किसी नदी में सिराने से क्या होगा? नदी में सिरवा देने से उस मरे हुये व्यक्ति की मुक्ति हो जायेगी ? यह लोकमूढ़ता लोकमूढ़ता में फँसा प्राणी कभी संसार से पार नहीं होता। सत्य या झूठ का पता लगाये बिना भीड़ का अनुसरण करना ही लोकमूढ़ता है। यह लोकमूढ़ता सभी सम्प्रदाय में किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है, किसी-न-किसी रूप में इसकी अभिव्यक्ति होती है, चाहे कोई कारण हो या नहीं और लोग भी उसे बड़ी सहजता से व श्रद्धा से स्वीकरते हैं। एक बात बड़ी प्रसिद्ध है। एक कुम्हार अपने गधे को लेकर कहीं जा रहा था। रास्ते में अत्यधिक भार से परेशान होकर वह गधा मरण को प्राप्त हो गया। कुम्हार बड़ा परेशान हुआ क्योंकि एक ही गधा था, बड़ा प्यारा था, सभी काम करता था। वह भी बीच रास्ते में दगा दे गया, क्या किया जाये? फिर सोचा कि चलो, पहले इसका दाह-संस्कार कर दिया जाये। उसने दाह-संस्कार कर दिया और उसकी स्मृति में वहाँ एक चबूतरा बनवा दिया। वहीं अगरबत्ती-दीपक चढ़ाकर शोक व्यक्त करने बैठ गया। कोई पथिक वहाँ से गुजरा, शोकसंतप्त कुम्हार को वहाँ अशान्त बैठा देखा, तो वह भी दीप-धूप जलता देख सोचने लगा कि यहाँ किसी देवता का पवित्र स्थान है, क्यों न मैं भी दो क्षण यहाँ पूजा करूँ और आगे बढूँ। वह भी पास के बगीचे से दो फूल तोड़ लाया और आँखें बंद करके वहाँ चढ़ा दिये, साथ में कुछ रुपया भी चढ़ा दिया और श्रद्धाभाव से नमन 10 628_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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