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________________ यमुना नदी में नहाने गये। उनके पास था कमण्डल। उन्होंने सोचा कि नहाते समय कोई कमण्डल ही न उठा ले जाये, सो पास में ही रेत में एक छोटा-सा ढेर बनाकर उसमें कमण्डल गाड़ दिया। अब बहुत दूर-दूर के लोग स्नान करने आ रहे थे, सोचा यह तो कोई ऊँचा सन्यासी है, यह रेत का भटूना बनाकर फिर स्नान करने गया । सो उन सबने भी एक-एक रेत का भटूना उसी जगह पास-पास ही बना दिया। अब तो बहुत से रेत के ढेर उसी जगह हो गये। जब वह साधु महाराज स्नान करके लौटे, तो देखा कि उसी जगह आसपास 50, 60, 70 रेत के भटूने बने हुये थे। लो, अब उनका कमण्डल ही गायब हो गया। तो यह क्या है? मूढ़ता ही हुई ना। देहातों में रास्ता चलते किसी जगह 10-5 पत्थर रख लो तो प्रत्येक यात्री एक पत्थर उठाये और उस ढेर में उस पत्थर को डाल दे। लो, वह तो परम्परा चल गयी। बहुत बड़ा ढेर बन गया। अब लोग समझे कि यहाँ तो कोई देवता रहता है, उसकी मान्यता हो गयी। फल्लन देवी का एक कथानक सनने में आता है कि कोई साधारण सन्यासी था। उसे कहीं भिक्षा में लड्डू मिल गया। वह लिये जा रहा था, अचानक ही हाथ से छूटकर वह लड्डू मैला में गिर गया। खाने की तेज आसक्ति में उसने उस मल से उस लड्डू को उठा लिया और पोंछ डाला और उसी जगह कुछ फूल डाल दिये। फूल तो इसी हेतु डाले कि कोई मैला की बात न समझ पाये। तब लोगों ने सोचा कि यहाँ साधु महाराज निहुरे क्यों? वहाँ जाकर देखो तो कुछ फूल पड़े हुये मिले। फूल तो इसलिये डाल दिये कि पोल न जान पायें पर लोगों ने समझा कि यहाँ कोई देव है। सो सबने उस स्थान पर फूल डालना शुरू किया। वहाँ थोड़ी ही देर में फूलों का बहुत बड़ा ढेर लग गया। लो, सब लोग फुल्लन देवी मानने लगे। थोड़ी देर बाद एक विवेकी ने सोचा कि आखिर किस बात पर फूल चढ़ाये जा रहे हैं, जरा समझ तो लें। उसने उन फूलों को _0_6270
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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