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________________ परित्याग करना जरूरी नहीं होता, तो महावीर - जैसे राजकुमार घर छोड़कर सा वृत्ति को क्यों ग्रहण करते ? इससे सिद्ध होता है कि मोक्ष प्राप्ति के लिये गृहत्याग बहुत जरूरी है। एक बार वे दोनों व्यक्ति कहीं मिल गये । संयोग ही कुछ ऐसा बना कि दोनों में चर्चा छिड़ गई उसी प्रश्न को लेकर । एक ने कहा- महाराज ने तो कहा है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिये घर छोड़ना जरूरी नहीं है, घर में रहकर भी साध ना की जा सकती है। दूसरे ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो, क्योंकि मैंने भी तो उन्हीं सन्यासी से पूछा था, मुझसे तो उन्होंने कहा था कि मोक्ष पाने के लिये घर को छोड़ना जरूरी होता है । दोनों का आपसी विवाद यहाँ तक बढ़ गया कि वे लड़ पड़े, हालांकि दोनों अपने-अपने विचारों की सीमा में सच थे। बहस तो खूब हुई, किन्तु समाधान नहीं मिला। आखिर दोनों सन्यासी के पास आये और बोले- महाराज! आपने तो हमें लड़वा दिया। हमारा प्रश्न तो एक ही था, किन्तु आपने उत्तर बिलकुल विपरीत दिये। आपने तो हमें भटका दिया । अब हमें उचित समाधान दीजिये । सन्यासी ने कहा–पहले व्यक्ति की मनोवृत्ति (इच्छा) घर छोड़ने की नहीं थी, वह घर त्याग कर साधना नहीं करना चाहता था, इसलिये मैंने उससे कहा मोक्ष की साधना करने के लिये घर छोड़ना जरूरी नहीं है, तुम घर में रहकर भी साधना कर सकते हो। दूसरे व्यक्ति की मनोवृत्ति घर छोड़ने की थी, अतः मैंने उसे घर छोड़ना जरूरी बताया। जैसी तुम्हारी मनोवृत्ति थी, मैंने तुम्हें उसी ओर प्रेरित किया। मंजिल एक होती है, मार्ग अनेक होते हैं। इसलिये एक ही पक्ष को पकड़कर एकान्तवादी नहीं बनना चाहिये । आचार्यों ने लिखा है- जो व्यवहार से विमुख होकर निश्चय मात्र को चाहते हैं, वे मूढ़ हैं, वे बिना बीज के वृक्ष को चाहते हैं । आचार्य अमृतचन्द्र स्वामी ने पुरुषार्थसिद्धयुपाय ग्रन्थ में लिखा है व्यवहार निश्चयौ नयः प्रबुध्य तत्त्वेन भवति मध्यस्थः । प्राप्नोति देशनायाः स एव फलम् विकलं शिष्यः । । 48 S
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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