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________________ में है। इसलिये आचार्य अमृतचन्द्र स्वामी 'पुरुषार्थ-सिद्धयुपाय' में कहते हैं कि गुरु साधक को केवल यही विश्वास हृदयंगम करावे कि तू तो शाश्वत है, यही है, तत्त्व ऐसा ही है, दूसरा नहीं है, अन्य प्रकार से नहीं है। तभी कार्य की सिद्धि संभव है। सम्यग्दृष्टि जीव सभी सात प्रकार के भयों से रहित होता है और नि:शंक हो अपना जीवन व्यतीत करता है। यद्यपि भयप्रकृति का उदय मुनि तथा श्रावक दोनों को होता है, क्योंकि भयप्रकृति का उदय अष्टम गुणस्थान तक है, फिर भी सम्यग्दृष्टि के कर्मउदय का स्वामीपना एवं मोहबुद्धि नहीं होती है। वह परद्रव्य द्वारा स्वद्रव्य का नाश हो, ऐसा नहीं मानता है। वह पर्याय की विनाशीकता को भली-भांति जानता है। इसलिये चारित्रमोह सम्बन्धी भय होते हुये भी दर्शनमोह सम्बन्धी भय नहीं होता । देव-शास्त्र-गुरु के प्रति दृढ़ श्रद्धा उसे निःशंक बना देती है। यद्यपि तत्क्षण उठी पीड़ा के सहने में अशक्त होता है, फिर भी श्रद्धा से कभी नहीं डिगता है। एक बार राजकुमार वर्द्धमान की निर्भयता और वीरता की चर्चा सुनकर संगमदेव ने उनकी परीक्षा लेना चाही। वर्द्धमान वृक्षों पर एक-दूसरे को छू लेने का खेल-खेल रहे थे। वे अपने मित्रों के साथ वृक्षों पर यहाँ से वहाँ दौड़ रहे थे। वहीं पर संगमदेव भयंकर विषधर नाग का रूप धारण कर वृक्ष से लिपट गया और फुफकारने लगा। सभी अन्य मित्र उस भयंकर नाग को देखकर वृक्ष से कूद-कूदकर डर के मारे यहाँ से वहाँ भागने लगे। वर्द्धमान उस नाग को वृक्ष से लिपटा हुआ देखकर रंचमात्र भी भयभीत नहीं हुए। उन्होंने वृक्ष से उतरकर नाग के फण पर दोनों पैर रख दिये और मित्रों से कहा- 'तुम इस सर्प से मत डरो। जब अपनी आत्मा अजर-अमर है, तब उसे कौन मार सकता है?' ऐसा लग रहा था जैसे बालक वर्द्धमान उस सर्प के साथ खेल, खेल रहे हों। नाग ने वर्द्धमान की निर्भयता से प्रभावित होकर अपना असली देव का रूप धारण कर क्षमा याचना कर कहा- 'भगवन्! आप महान् ज्ञानी एवं निःशंक हैं। आपकी वीरता धन्य है। मैंने आपकी परीक्षा करने का असफल दुःसाहस किया, उसके लिये आप मुझ दीन को क्षमा प्रदान करें।' सम्यग्दृष्टि अपनी आत्मा को पहचानता है, वह विचार करता है 0 474_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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