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________________ ने कहा कि माथा क्यों धुनते हो? वे देव कहते हैं कि अब वह रूप नहीं रहा। लोगों ने पूछा कि कैसे नहीं रहा वह रूप? देवों ने बताया कि ज्यों-ज्यों समय गुजरता है, त्यों-त्यों रूप, यौवन सब ढलते जाते हैं। हमें तत्काल पता नहीं पड़ता, पर महिनों, वर्षों बाद देखने पर पता पड़ता है। देवों ने पानी से भरी एक गगरी मँगायी, जो खूब लबालब भरी थी। उसमें एक सींक डुबोकर निकाल ली और एक बूंद अलग टपका दी तथा पूछा कि बताओ इस गगरी में पानी कम हुआ या नहीं? तो दिखने में कम नहीं लगता, पर कम तो हआ ही। यों ही यह रूप क्षण-क्षण क्षीण होता जाता है। सनतकुमार विरक्त होकर मुनि हो गये, पूर्व कर्म का ऐसा उदय आया कि उनके शरीर में कुष्ठ रोग हो गया। फिर वह देव उनकी परीक्षा लेने आया और वैद्य का रूप धारण कर उनके सामने घूमने लगा कि मेरे पास बड़ी अच्छी-अच्छी औषधियाँ हैं। चाहे जो रोग हो, ठीक हो जाता है। सनतकुमार मुनिराज ने कहा कि तुम हमारे सामने बार-बार क्यों घूम रहे हो? वह देव बोला, ‘महाराज! हम बहुत अच्छी औषधियों द्वारा उपचार करते हैं। हम चाहते हैं कि आपके रोग की दवा हो जाये ।' मुनिराज बोले, 'मुझे शरीर के इस रोग की कोई चिन्ता नहीं है। मुझे तो जन्म-मरण का एक विकट रोग लगा है। यदि आपके पास उसकी कोई दवा हो तो बताओ।' वह देव अपने असली रूप में प्रगट होकर बोला, 'आप धन्य हैं। इस रोग की दवा तो आपके पास ही है।' तो ज्ञानी पुरुष इस शारीरिक वेदना को वेदना नहीं समझते, किन्तु आत्मा की पवित्रता न रहे, खोटे परिणाम हों, तो इसे वे बहुत विडम्बना समझते हैं। सम्यग्दृष्टि को वेदना का भय नहीं रहता। सम्यग्दृष्टि को असुरक्षा का भय भी नहीं होता। रक्षा सम्बन्धी भय होना असुरक्षा भय कहलाता है। सम्यग्दृष्टि जानता है कि जो सत् है, अस्तित्त्व रखता है, उसका (पदार्थ का) कभी विनाश नहीं होता, रहता ही है। भले ही पानी का भाप और भाप का पानी बन जाए, पर कोई भी वस्तु मूल से नष्ट हो जाए, ऐसा नहीं किया जा सकता। ज्ञानी जानता है कि मैं एक सत् वस्तु हूँ, अतएव अनन्तकाल तक रहूँगा, सदा रहूँगा, मेरा विनाश नहीं हो सकता। मेरी असुरक्षा कहाँ है? अज्ञानी लोग तो ममता के कारण अनुकूल बात न होने से अपनी __0_466_n
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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