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________________ मुनिराज को शान्ति प्राप्त कराने हेतु उनके चारों और सुगन्धित और ठण्डे जल की वर्षा प्रारम्भ कर दी। यहाँ मुनिराज ने आत्मोत्थ अनुपम सुख के रसास्वादन द्वारा कर्मोत्पन्न तृषावेदना पर विजय प्राप्त की और चार घातिया कर्मों का नाश करके केवलज्ञान प्राप्त किया। श्री दत्त मुनिराज ने शीत परीषह पर विजय प्राप्त कर केवलज्ञान प्राप्त किया। इलावर्धन नगरी के राजा का नाम जितशत्रु था। उनकी इला नाम की रानी थी, जिससे श्रीदत्त नाम के पुत्र ने जन्म लिया। श्रीदत्त कुमार का विवाह अयोध्या के राजा अंशुमान की पुत्री अंशुमती से हुआ था। अंशुमती ने एक तोता पाल रखा था। चौपड़ आदि खेलते हुए जब राजा विजयी होता तब तो तोता एक रेखा खींचता और जब रानी जीतती थी तब तोता चालाकी से दो रेखाएँ खींच देता था। उसकी यह शरारत राजा ने दो चार बार तो सहन कर ली, आखिर उसे गुस्सा आ गया और उसने तोते की गर्दन मरोड़ दी। तोता मरकर व्यन्तर देव हआ। श्रीदत्त राजा को एक दिन बादल की टकडी को छिन्न-भिन्न होते देखकर वैराग्य हो गया और उन्होंने संसार परिभ्रमण का अन्त करने वाली जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर ली। अनेक प्रकार के कठोर तपश्चरण करते हुए और अनेक देशों में विहार करते हुए श्रीदत्त मुनिराज इलावर्धन नगरी में आए और नगर के बाहर कायोत्सर्ग ध्यान से खड़े हो गये। ठंड कड़ाके की पड़ रही थी। उसी समय शुकचर व्यन्तर देव ने पूर्व बैर के कारण मुनिराज पर घोर उपसर्ग प्रारम्भ कर दिया। वैसे ही ठंड का समय था और देव ने शरीर को छिन्न-भिन्न कर देने वाली खूब ठंडी हवा चलाई, पानी बरसाया तथा खूब ओले गिराये। पर मुनिराज ने अपने धैर्यरूपी गर्भगृह में बैठ कर तथा समतारूपी कपाट बंद करके संयमादि गुण-रत्नों को उस जल के प्रवाह में नहीं बहने दिया, उसके फलस्वरूप वे उसी समय केवलज्ञान को प्राप्त करते हुए मोक्ष पधारे। ___ वृषभसेन मुनिराज ने उष्ण परीषह पर विजय प्राप्त कर केवलज्ञान प्राप्त कर लिया। उज्जैन के राजा प्रद्योत एक दिन हाथी पर बैठकर हाथी पकड़ने के लिये जंगल की ओर जा रहे थे। रास्ते में हाथी उन्मत्त हो उठा और इन्हें भगाकर बहुत दूर ले गया। राजा प्रद्योत एक वृक्ष की डाल पकड़कर ज्यों-त्यों 0 244_0
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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