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________________ चोर चहुँ ओर, सर्वस्व लूटैं सुध नहीं ।" एक किसान बहुत धनी था। उसे सारी संपत्ति विरासत में मिली थी । उसकी एक गौशाला भी थी, जिसमें अच्छी संख्या में गाय-भैंसें थीं। उसकी जमीन भी खूब उपजाऊ थी, पर किसान बहुत आलसी व लापरवाह था, अतः उसके नौकर उसकी लापरवाही का नाजायज फायदा उठाते थे । रिश्तेदार/कुटम्बीजन भी धन हड़पने के लिये उसके घर डटे रहते थे। एक बार किसान का जिगरी दोस्त उससे मिलने आया । वह घर की अराजकता देखकर दंग रह गया। उससे किसान की लापरवाही से घर की बरबादी होती नहीं देखी गई। उसने किसान को विविध प्रकार से समझाने का प्रयास किया, परन्तु किसान पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। क्योंकि किसान आलसी भी था एवं अपने रिश्तेदार और पारिवारिकजनों पर बहुत विश्वास किया करता था । किसान का मित्र उसका शुभचिंतक था, अतः उसने कुछ उपाय सोचा और कहा- मित्र! चलो मैं तुम्हें एक ऐसे महात्मा के पास ले चलता हूँ जो जीवन को समृद्ध बनाने के बड़े-बड़े रहस्यों को जानता है । किसान ने बड़ी उत्सुकता से पूछा- मित्र! वे कौन-से रहस्य होते हैं? मित्र बोला- 'वे आजीवन स्वस्थ और अमीर बनाने का उपाय बताते हैं ।' यह सुनकर किसान के मन में भी जिज्ञासा जागृत हुई। किसान ने कहा- मैं महात्मा के पास तो जा नहीं सकता, अतः तुम जाकर उपाय पूछ आना और मुझे बता देना । मित्र ने कहा- आज से ठीक एक सप्ताह बाद मैं वापिस आऊँगा और तुम्हें वह उपाय अवश्य बताऊँगा । एक सप्ताह पूरा होते ही मित्र किसान के घर पर पहुँच गया। किसान ने कहा- मित्र! स्वागत है आपका। क्या महात्मा से मिलकर आ रहे हो? उसने कहा—जी हाँ। महात्मा ने मुझे स्वास्थ्य और अमीरी का जो राज बताया है, वह मैं तुम्हें बताने आया हूँ । महात्मा ने कहा है कि प्रातः सूर्योदय से पूर्व एक सफेद हंस इस धरती पर आता है जो किसी के देखने से पहले ही गायब हो जाता है। इस हंस को जो छिपकर देख लेता है, वह आजीवन स्वस्थ तथा धनी बना रहता 1882
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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