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________________ कारण वे परस्पर में मिल-जुल सकें। कालाणु को निश्चय काल कहते हैं, जो एक सत्ताभूत पदार्थ है और घड़ी, घण्टा, पल, दिन, रात, ऋतु, वर्ष आदि का जो व्यवहार चलता है उसे व्यवहार काल कहते हैं। समय तीव्र गति से व्यतीत होता जा रहा है, अतः संसार के स्वरूप को अच्छे प्रकार से समझकर उससे मुक्त होने का प्रयास करो। यह संसार तो स्वार्थ का है। स्वार्थ के कारण व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। बादशाह अकबर के नवरत्नों में बीरबल सबसे अधिक बुद्धिमान था। उसकी अद्वितीय बुद्धिमत्ता के कारण सम्राट अकबर बीरबल का बहुत आदर किया करते थे, परन्तु कुछ दरबारी ऐसे भी थे जो बीरबल से ईर्ष्या की अग्नि में प्रतिपल जलते रहते थे। वे उस अवसर की प्रतीक्षा में थे कि कुछ ऐसा प्रसंग आये जिससे वे बीरबल को अपमानित कर सकें। एक दिन बेगम का भाई उदास होकर अपनी बहन के पास आया। बेगम ने पूछा, भैया! क्या बात है, आज तुम उदास दिखाई दे रहे हो? वह बोला- बहना! क्या बताऊँ, बड़े खेद की बात है। मैं बादशाह अकबर की बेगम मलिका का भाई हूँ, परन्तु इस दरबार में मेरा बिल्कुल भी आदर-सत्कार नहीं किया जाता। रानी ने सहानुभूतिपूर्ण स्वर में पूछा-भाई! बादशाह अकबर की सभा में ऐसा क्यों होता है? वह बोला-बादशाह अकबर को सही पहचान नहीं है। तुम भलीभांति जानती हो कि मैं बीरबल से अधिक बुद्धिमान हूँ, इसलिए राजदरबार में जो सम्मान बीरबल को दिया जाता है वह वास्तव में मुझे मिलना चाहिए। ____ भाई की दर्दपूर्ण बात सुनकर मलिका भी बड़ी दुःखी हुई और उसने सांत्वना देते हुए कहा-भैया! तू फिक्र मत कर। मैं तुझे वचन देती हूँ कि बादशाह से विचार-विमर्श करके तुझे बीरबल का सम्मानीय स्थान अवश्व दिलवा दूंगी। एक दिन बेगम मलिका ने मौका देखकर बादशाह अकबर को उलाहना देते हुए कहा कि आपने अकारण ही बीरबल को सिर पर चढ़ा रखा है जबकि उससे भी अधिक बुद्धिमान लोग आपके दरबार में मौजूद हैं। आगे अपनी बात पर आते हुए उसने कहा-मेरा भाई भी तो बहुत बुद्धिमान है। अतः मैं चाहती हूँ कि 0 1700
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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