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________________ だだだだ だ だだだだだだだだだだいだいおうちわとおかわりだ कन्हैयालाल से कुन्थुसागर 'कुन्ठुनाथामिघातस्य सर्वेपा पाप कुन्युनाथा।' श्लोक ३० पृष्ठ २४० सम्मेद शिखर माहात्म्म् नाम को सार्थक किया, कन्हैया से मुरकराते प्रथमानुयोग, करणानुयोग, द्रव्यानुयोग, चरणानुयोग के प्रवचनो द्वारा योगिश्वर कृष्ण सी जिणवारणी गगा गीता बहाने श्रापका E जीवन धन्य एव प्रणम्य है। उपसर्गजयो -मिथ्यात्वी, एकाती, मदाघ पण्डितो ने उनके उपसर्ग, कष्ट एव विरोधपूर्ण लाछनो से आप श्री को अपमानित करने का प्रयत्न किया, किन्तु पाप क्षीर सागर मे शात विराजमान विष्णु की तरह अडिग रहे । बचपन से ही पूर्ण ब्रह्मचर्यपालक विषय वासना दाहन को शिव सा तोसरा नेत्र जाग्रत रखते है और परिपह जय करते हुए उपसर्गों का कालकूट पीते महादेव शकर से सर्वदा सर्वत्र पूज्य ही रहे। स्यादवाद केशरी -अापने उत्तर से दक्षिण पैदल विहार करके कन्नड, सस्कृत, प्राकृत, पालो, मराठी, गुजराती, राजस्थानी, अपभ्रश एव राष्ट्र भाषा के अनेक विद्वानो, पण्डितो, श्रावको को जहाँ जिनवाणो का अमृतपान कराया है, वही उनके हठी दुराग्रही, दभी जनो को अकाट्य तर्को । द्वारा स्याद्वादमयी जिणवाणी का रहस्य समझाकर कुन्द कुन्दाचार्य की प्रापं पताका फहराई एव । मदान्ध ज्ञानी गजो का मद भजन कर "स्यादवाद केसरी" कहलाये। प्रात स्मरणीय पूज्य -ग्राप ज्ञान के सागर, चरित्र के सुमेरु, वात्सल्यमूर्ति, जिनालयो, मन्दिरो, तीर्थो के उद्धारक, प्रतिष्ठा-कर्ता एव शास्त्रो के गूढ ज्ञाता है, आप निकाल वदनीय, सदाकाल पूज्यनीय एव प्रात स्मरणीय है। सबकी भावना है आप शतायु स्वस्थ रहे। आपने शुद्ध-अशुद्ध, निश्चय व्यवहार सभी प्रकार से जिनागम महोदधि का मथन कर सत्य का सूय प्रकाशित किया है। ___अत बिहार प्रात मे जहाँ कभी भगवान् महावीर और गौतम बुद्ध ने अहिंसा, क्षमा, प्रेम त्याग सेवा का जयक्रान्ति घोप कर प्राणीमात्र को कल्याणकारी पचशोल का उपदेश दिया था, उसी प्रात की पावन, पवित्र भूमि आरा नगरी मे पचकल्याणक महोत्सव के शुभावसर पर वही काउपस्थित जनसमुदाय एव जयपुर नगर के श्री दिगम्बर जैन कुन्थु विजय ग्रन्थमाला समिति के श्रद्धालु परम गुरुभक्त कार्यकर्ता नवविशेषनात्मक रत्नो से युक्त नवधाभक्तिपूर्वक आपका अभिनन्दन कर आपको "जिनागम सिद्धान्त-महोदधि" पद से विभूपित करते है और यह अभिनन्दन पत्र आपको समर्पित करते हुए अपने आपको धन्य एव गौरवान्वित अनुभव करते है। कृपया स्वीकार कर, आशिर्वाद दे गुरुवर्य । हम है आपके श्रद्धावनत१ श्री दिगम्बर जैन मुनि सघ सेवा समिति श्री दिगम्बर जैन २ पचकल्याणक महोत्सव समिति एव सकल कुन्थु विजय ग्रथमाला समिति, दिगम्बर जैन समाज, पारा (बिहार) दिनाक ११-१२-८८ जयपुर (राजस्थान) HINTAMANANAMANAMRATANAMANNAR
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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