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________________ ५२ लघुविद्यानुवाद मनचीता कार्य-सिद्धि मन्त्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रह्रौ ह्रः अ-सि-पा-उ-सा-नमः स्वाहा । विधि :--इस मन्त्र से मनचीता कार्य सिद्ध होय । अर्थात जब यह मन्त्र जपे आगे धप जलाव रखले । जिस कार्य की सिद्धि के वास्ते जपे, मन मे उसे रखे कि अमुक कार्य की सिद्धि के वास्ते यह मन्त्र जपता है। यदि कोई इस मन्त्र का सवा लक्ष जाप करे तो मनचीते कार्य होय, सब कार्य की सिद्धि होवे । द्रव्य-प्राप्ति मन्त्र अरहंत, सिद्ध, पाइरिय, उवज्झाय, सव्वसाहरण । विधि -इस मन्त्र का सवा लाख जप विधिपूर्वक करे तो द्रव्य प्राप्ति हो । लक्ष्मी-प्राप्ति, यशकरण, रोग-निवारण मन्त्र ॐ रणमो अरहतारणं, ॐ रणमो सिद्धारणं, ॐ गमो पायरियारणं, ॐ रणमो उवझायारणं, ॐ गमो लोए सव्वसाहूरणं ।। ॐ ह्र ही ह ह्रौं ह्रः नमः स्वाहा । विधि -इस मन्त्र का जप करने से लक्ष्मी बढे ( वृद्धि को प्राप्त हो ) लोक मे यश हो, सर्व प्रकार के रोग जाये। नोट :-सवा लक्ष जप विधिपूर्वक जपने से कार्य पूर्ण सिद्ध होता है, फिर जिस मर्यादा से जपेगा, उतनी मदद देगा। सर्व-सिद्धि मन्त्र ॐ ह्री श्री अर्ह असि आ उ सा नमः । विधि -इस महामन्त्र का सवा लक्ष जप करने से सर्व कार्य सिद्धि होती है। द्रव्य-लाभ, सर्व-सिद्धिदायक मन्त्र ॐ अरहतारणं, सिद्धारणं पायरियाणं उवज्झायारणं साहूरण मम रिद्धि वृद्धि समोहितं कुरु कुरु स्वाहा । विधि -स्नान करने के पश्चात् पवित्र होकर प्रभात, मध्यान्ह, अपरान्ह, तीनो समय इस मन्त्र का जाप करे, द्रव्य लाभ हो, सर्व-सिद्धि हो। नोट :-२१ दिन तक तीनो समय के सामायिक के वक्त निर्भय होकर दो-दो घडी जाप्य करे।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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