SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघुविद्यानुवाद ५१ वाद - जीतन मन्त्र ॐ ह्रौं सः ॐ श्रहं ऐ श्रीं अ-सि-प्रा उ सा नमः । विधि - पहले यह मन्त्र पढकर एक लक्ष तथा सवा लक्ष जप सिद्ध कर लेवे, फिर जहाँ वाद-विवाद जाना हो वहाँ यह मन्त्र इक्कीस बार पढकर जावे तो वाद-विवाद मे आप जीते, जय पावे । विद्या प्राप्ति, वाद - जीतन मन्त्र ॐ ह्री प्र-सि-प्रा-उ-सा नमो श्रर्ह वद वद वाग् वादिनी सत्य वादिनि वद वद मम वक्त्रे व्यक्त वाचयाही सत्यं ब्रूहि सत्यं ब्रूहि सत्यं वद सत्यं वद प्रस्खलित प्रचारं सदैव मनुजा सुरसदसि ह्री अर्ह अ-सि-प्रा-उ-सा नमः । विधि — यह मन्त्र एक लक्ष बार जपे तो सर्व विद्या आवे, और जहाँ वाद-विवाद करना पड जावे, तो वहाँ वाद के झगडे मे बोल ऊपर होय जीत जावे | परदेश लाभ सन्त्र ॐ गमो अरहंताणं, ॐ गमो भगवइए चन्दायईएसतट्ठाए गिरे मोर मोर हल हल चल चलु मयूर वाहिनिए स्वाहा । जब उस विधि :- जब किसी परदेश मे रोजगार के वास्ते धन प्राप्ति के लिए जावे तो पहले श्री पार्श्वनाथ भगवान् की प्रतिमा के सामने यह मन्त्र दस हजार जपे । फिर श्रेष्ठ मुहूर्त्त मे गमन करे। जिस दिन, जिस समय गमन करने लगे, इस मन्त्र को १०८ बार जपे । नगर मे पहुँचे तो यह मन्त्र १०८ बार जपे । जिस नगर मे जावे, रोजगार करे लाभ हो । महान् धन मिले । नोट -- जिस नगर मे रोजगार के लिए जावे, वहाँ मंगलवार के दिन प्रवेश न करे । मंगलवार के दिन प्रवेश करे तो हानि हो । घर की पूँजी खोकर, कर्जदार हो, दिवाला निकाले, काम बन्द हो । शुभाशुभ कहन मन्त्र, बाग्बल मन्त्र ॐ ह्रीं वीं स्वाहा । विधि - किसी मुकदमे मे या फिर किसी फिकर मे या अन्देशे मे या बीमारी मे, रात में सारे मस्तक पर चन्दन लगाकर, चन्दन सूख जाने के बाद १०८ बार यह मन्त्र पढकर सो जावे । जैसा कुछ होनहार होगा, स्वप्न द्वारा मालूम होगा । वृहस्पतिवार से ११००० जप करे ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy