SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है भैरव पद्मावती कस्प [१३५ अथ त्रिनेत्रा शतम् त्रिनेत्रा श्यंकांतः श्री, त्रिपुरा त्रिपुरभैरवी । त्रिपुष्टा त्रिफणा तारा, तोतिला त्वरितातुला ॥१॥ तपत्रिया तपस्सी च, तपो निष्टा तपस्विनी। त्रैलोक्य दीपका त्रेधा, त्रिसंध्या त्रिपदा थया ।। २॥ त्रिसू पात्रि पद त्राणा, ता रात्रि पुरसुन्दरी । त्रिलोचना त्रिपथगा, तारा मानविमर्दनी ।। ३ ।। धर्मप्रिया धर्मदा च, धमिनी धर्मपालिनी । धारा धर धारा धारा, धात्रो धर्मोग पालिनी ।। ४ ॥ धौता घृति धुरा धारा, धूनिनी व धनुर्द्धरा । ब्राह्मणी ब्रह्मगोत्रा च, ब्राह्मणी ब्रह्मपालिनी ॥५॥ ब्रह्मा विद्यत्प्रवीरा ख, वीणाबासिच पूजिता । गीता प्रियाभिधारा गा, गामिनी गज गामिनी ॥ ६॥ गङ्गा गोदावरी गौर्गा, गायत्री गणपालिनी। गोचरी गोमती गुर्धा, गाथा गंधारिणी गुहा ।। ७ ।। गरीयसी गुणोपेता, गरिष्टा गर मर्दिनी। गम्भीरा गुरुरूपा च, गीता गर्षापहारिणी ।। ८॥ प्रहिणी प्राहिणी गौरी, गन्धारी गन्धमासिनी। गारुड़ी गामिनी गूढा, गोहनी गुणहायिनो ॥९॥ चक्रमध्या चक्रधरा, चित्रिणी चित्ररूपिणी । चर्चनी चतुरा चिंता, चित्रमाया चतुर्मुआ।। १० ॥ चन्द्रामा चन्द्रवर्णा च, चक्रणी चक्रधारिणी। चक्रायुध करा चण्टी, चण्डचण्ट पराक्रमा॥ ११ ॥ इति त्रिनेत्रा शतं ॥९॥
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy