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________________ सद्धर्मसंरक्षक ७- रावलपिंडी प्रज्ञाचक्षु तपस्वी मोहनलाल जख । ८- अम्बाला शहर लाला मोहोरसिंह, लाला सरस्वतीमल अग्रवाल आदि । ९- दिल्ली भोलानाथ टांक, शिवजीराम छजलानी, इन्द्रजीत दूगड, हीरालाल दुगड । १० - जम्मू - लाला सोभारामजी ओसवाल भावडा (कवि) २१६ आदि। ११- पसरूर किला सोभासिंह दुगड आदि । लाला जिवन्दशाह इसी प्रकार पंजाब के अनेक नगरों और ग्रामों में साधु अवस्था में आपने १८ चौमासे किये। दिल्ली से लेकर रावलपिंडी तक विचरण किया । सब जगह आपके भक्त श्रावक थे । यहाँ तो हमने मात्र उन्हीं श्रावकों की नामावली दी है, जिसके उल्लेख आपके द्वारा रचित मुखवस्त्रिका विषयक चर्चा पुस्तक में से मिल पाये हैं। पूज्य बुद्धिविजयजी के जीवन की मुख्य घटनाएं १ - वि० सं० १८६३ (ई० स० १८०६) में पंजाब के दुलूआ नामक गांव में सिखधर्मानुयायी जाट क्षत्रीय वंश में चौधरी टेकसिंह गिल गोत्रीय की पत्नी कर्मदेवी की कुक्षी से आपका जन्म हुआ। जन्म नाम माता-पिता द्वारा रखा हुआ टलसिंह । परन्तु आपका नाम दलसिंह प्रसिद्ध हुआ । २- वि० सं० १८७१ (ई० स० १८१४) में पिता टेकसिंह की मृत्यु | माता के साथ दूसरे गाँव बडाकोट साबरवान में जाकर बस जाना । वहाँ पर आपका नाम बूटासिंह प्रसिद्ध हुआ । Shrenik/D/A-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013) / (1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [216]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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