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________________ पंजाब में पुनः आगमन और कार्य १२५ चर्चा करनी हो उनके नाम सहित सब लिखकर भेजें चार निष्पक्ष पंडितों तथा चार-पांच साक्षर निष्पक्ष प्रतिष्ठित नागरिकों के नाम भी निश्चय हो जावें । इस प्रोग्राम की सूचना थाने में भी दे दी जावे ताि उस समय पुलिस के दो-तीन अधिकारी भी बुला लिए जावें । यदि तुम्हें यह बात स्वीकार नहीं है और चर्चा करना नहीं चाहते हो तो तुम जानो, हम तो अपने श्रद्धान में दृढ हैं ही । व्यर्थ में झगडा- फिसाद करना तथा राग-द्वेषवश कर्मबन्धन करना उचित नहीं है।" अमरसिंह ने कहला भेजा कि "हम निर्णय के लिए ब्राह्मण नहीं बुलायेंगे। हम तो अपनी तरफ से ईसाई पादरी बिठलावेंगे।" तब आपने कहला भेजा कि "तुम लोग अपनी तरफ से चाहे किसी को बिठलाओ, पर जो लोग संस्कृत, प्राकृत आदि शास्त्रीय भाषाओं के शब्दार्थ, व्याकरण तथा जैनागमों में आनेवाले शब्दों के अर्थों को समझते हों, शब्दकोष के अर्थों के ज्ञाता हो ऐसे व्यक्तियों को बिठलाना चाहिए, जो दोनों पक्षों को समझकर निष्पक्ष निर्णय दे सकें। तभी सच-झूठ का निर्णय संभव है।" परन्तु वे लोग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुए और चर्चा की बात को टालते ही चले गए । अन्त में कहने लगे कि " खिम्मत - खामना कर लो।" लाला उत्तमचन्द श्रावक आपकी श्रद्धावाला था, उनके श्रावक उसके घर पर गए। उससे कहने लगे कि "भाई साहब ! आपके घर तो दो-चार ही हैं। चर्चा होने से दूसरे नगरों से भी तुम्हारे पक्ष के बहुत लोग आवेंगे। हमारे पक्ष के भी बहुत आवेंगे। हम और तुम पर भारी खर्चे का बोझ पड़ जावेगा तथा राग-द्वेष भी बढेगा। आपस में रिश्तेदारियों में मनमुटाव भी । Shrenik/D/A-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013) / (1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [125]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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