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________________ १२४ सद्धर्मसंरक्षक जिनप्रतिमा की चर्चा बत्तीस सूत्रों के आधार से करेंगे।" आपने कहला भेजा कि "इन दोनों विषयों की चर्चा के लिए आप और आपका संघ स्वीकार करके लिखित रूप से स्थान, समय आदि का निर्णय करके हमको भेजें, ताकि व्यवस्थित चर्चा करके सच-झूठ का निर्णय हो सके। चर्चा के विषय ये होंगे - १- क्या बत्तीस सूत्रों में साधु-साध्वीयों के लिए मुंहपत्ती में डोरा डाल कर मुख पर बाँधने का विधान है ? अथवा हाथ में रखकर मुख के आगे रखने का विधान है ? २ - जिनप्रतिमा को साधु-साध्वी वन्दन करे अथवा नहीं ? श्रावक-श्राविका गृहस्थ जिनप्रतिमा की पुष्पादि से पूजा करे अथवा नहीं ? जिनप्रतिमा का पूजन-वन्दन करने से कर्म की निर्जरा होती है। अथवा पुण्य का बन्ध होता है या पाप का बन्ध होता है ? इसके निर्णय के लिए संस्कृत प्राकृत के निष्पक्ष विद्वान चार पंडित तथा नगर के चार-पांच निष्पक्ष प्रतिष्ठित साक्षर व्यक्ति और सरकार के दो अधिकारी उस सभा में विद्यमान रहने आवश्यक हैं। ताकि चर्चा में वाद-विवाद को सुनकर निष्पक्ष निर्णय दे सकें और किसी किस्म का लडाई-झगडा न हो। इस बात के निर्णय के लिए मूल सूत्रों पर टब्बेवाले बत्तीस सूत्र तथा मूल सूत्रों पर पूर्वाचार्यों द्वारा कृत नियुक्ति, चूर्णि, टीका, भाष्य आदि सहित बत्तीस सूत्र; न दोनों का चर्चा में मिलान किया जावेगा । इससे जो निर्णय दिया जावेगा वह प्रमाण है । यदि यह पद्धति से अमरसिंह ने अथवा तुम्हारे किसी अन्य साधु ने निर्णय करना हो तो चर्चा की स्थापना कर लें। जिस दिन, जितने समय, जिस स्थान पर आप लोगों की तरफ से जिस जिस ने Shrenik/D/A-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013) / (1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [124]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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