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________________ वह यही है, प्रभु करे, आप सबके हृदय प्यास से भर जाएं। और आप सबके हृदय जगत को देख पाएं, जगत के अर्थ को देख पाएं, जगत की व्यर्थता को देख पाएं, ताकि आपके भीतर वह लपट पैदा हो जो जगत के पार और ऊपर उठाती है। वही लपट धीरे-धीरे व्यक्ति को सत्य तक और ज्ञान तक और मुक्ति तक ले जाने की सीढ़ी है। आज इस पुनीत पर्व पर यही मेरी प्रार्थना और कामना है। मेरी इन बातों को इतने प्रेम और शांति से सुना है, इतनी प्यास से सुना है, उसके लिए बहुत अनुगृहीत हूं, बहुत ऋणी हूं। उस अनुग्रह के धन्यवाद स्वरूप मेरे प्रणाम स्वीकार करें। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर बैठे हुए परमात्मा को मेरे प्रणाम हैं। 16
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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