SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जंगल से आठ-दस घोड़ों को साथ ले आया। गांव के लोगों ने कहा, बूढ़े ने ठीक कहा था कि यह मत कहो कि दुख है, वह तो घटना सुख की निकली। दस घोड़े मुफ्त घर आ गए। वे वापस गए और उस वृद्ध से कहा कि बड़ी खुशी की बात है, बड़े सुख की कि घोड़ा भी लौट आया और दस घोड़े भी ले आया। उस बूढ़े ने कहा, जल्दी निर्णय मत करो, तथ्य इतना है कि घोड़ा लौट आया और दस घोड़े भी साथ लौट आए। इससे ज्यादा कुछ पता नहीं है कि सुख है कि दुख, कुछ कहा नहीं जा सकता। ____ लोगों ने कहा, अब इसमें शक की ही बात क्या है! दस घोड़े मुफ्त हाथ पड़ गए। उसने कहा यह मत कहो। बस इतना तथ्य है. इससे आगे मत जाओ। इसके आगे जाना संभव नहीं है। और यही हुआ कि पांच-छह दिन बाद उसका इकलौता लड़का था बूढ़े का, वह एक जंगली घोड़े पर बैठ कर उसे चलना सिखा रहा था, गिर पड़ा। उसके दोनों पैर टूट गए। लोगों ने कहा, वह बूढ़ा बहुत होशियार है। हमसे बहुत समझदार है। उसने ठीक ही कहा था कि कुछ मत कहो। अब यह दुख की घटना घट गई। लड़के का पैर टूट गया। अकेला लड़का है, बुढ़ापे का सहारा है। वे सांझ उसके पास गए, उन्होंने कहा कि सच में ही दुख की बात हो गई। उस बूढ़े ने कहा, तुम मानते ही नहीं हो। तुम व्याख्या ही किए जाते हो। तथ्य इतना है कि घोड़ा चला, लड़का बैठा था, गिरा और पैर टूट गया। इससे आगे निर्णय मत करो। लोगों ने कहा, अब इसमें शक ही क्या रहा कि यह तो दुख की बात साफ ही है! अब इसमें और कौन सा सुख निकलेगा! इस लड़के के पैर टूट जाने से कौन से सुख की संभावना है! बूढ़े ने कहा, यह मैं कुछ नहीं जानता। इस जगत में अनंत संभावनाएं हैं। और जो अंधे हैं वे ही केवल नतीजे ले सकते हैं। जिनकी आंख खुली है वे नतीजे कभी नहीं लेते। तथ्य तथ्य हैं, उनमें सुख और दुख कुछ भी नहीं है। क्योंकि कुछ भी हो सकता है। और सच में ही गांव को हारना पड़ा और बूढ़े को जीत जाना पड़ा। महीने भर बाद पड़ोस के राज्य ने बूढ़े के गांव वाले राज्य पर हमला कर दिया। सारे जवान लड़के जबरदस्ती मिलिट्री में भरती कर लिए गए। सिर्फ उसका लड़का छूट गया। उसके पैर में चोट थी। तो गांव के लोगों ने कहा, तुम ठीक ही कहते थे। यह तो सुख ही निकला। बूढ़े ने कहा, तुम मानते नहीं हो, पुरानी आदत को पकड़े ही चले जाते हो। इतना ही कहो कि लड़का बच गया, मिलिट्री में नहीं जा सका। लेकिन सुख है या दुख, यह कहा नहीं जा सकता। जिनकी आंख सजग है, इसको कहेंगे, राइट विजन, यह है सम्यक दृष्टि। यह है चीजों को, तथ्यों को जैसे हैं, वैसे देखना। सम्यक दर्शन का अर्थ है तथ्य जैसे हैं, फैक्ट्स, बिना व्याख्याओं के उनको वैसा ही देखना। अगर कोई जीवन को देखे तो वह पाएगा कि वहां न सुख है, न वहां दुख है। वहां घटनाएं हैं और हमारी व्याख्याएं हैं। हमारी व्याख्याओं में सुख और दुख है। घटनाएं सिर्फ घटनाएं हैं, वहां कोई भी सख नहीं है और कोई भी दख नहीं है। ऐसा जब महावीर को दिखाई पड़ा होगा। ऐसा जब किसी को भी दिखाई पड़ता है तो उसके जीवन में क्रांति हो जाती है। वह दूसरे तरह का आदमी हो जाता है। व्याख्याओं का आदमी वह नहीं रह जाता। व्याख्याएं छोड़ देता है, तथ्य को पकड़ता है। और जो तथ्य को पकड़ता है वह सत्य की दिशा में उसके कदम बढ़ जाते हैं, क्योंकि सत्य तथ्य के भीतर छिपा 165
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy