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________________ सुबह जो बात चली थी, सांझ पहचानना मुश्किल है कि यह वही बात है। सांझ तक खबर पहुंच गई गांव भर में, उस गांव में दूसरे में कि दूसरे हिस्से में महामारी फैली है, गांव खाली कर देना चाहिए। कोई जनसेवक मिल गया होगा, उसने यह भी जोड़ दिया कि गांव खाली करो, नहीं तो महामारी यहां आ जाएगी। रात गांव खाली करने में स्वयंसेवक जुट गए। स्वयंसेवक हमेशा मिल जाते हैं। कोई भी बेवकूफी करवानी हो, वे हमेशा उपलब्ध हैं। वालंटियर्स। वे कहते हैं, हम स्वेच्छा से सब कर देंगे। उन्होंने गांव खाली कर दिया। जब एक गांव खाली होने लगा पड़ोस का तो बगल की बस्ती में जो समानांतर बसी थी, वहां भी खबर पहुंची। वहां भी पत्रकार थे, वहां भी संवाददाता थे, वहां भी मैसेंजर्स थे। उन्होंने कहा, सुनते हो, क्या सो रहे हो! हम मर जाएंगे, दूसरा हिस्सा खाली हो रहा है, वहां महामारी फैली हुई है। सुबह होते-होते उस हिस्से ने भी गांव खाली कर दिया। दोनों नदी के पार जाकर सामान ढोकर ले गए। हजारों साल हो गए इस बात को हुए। वे गांव अब भी नदी के किनारे बसे हैं। और असली बस्ती वीरान, उजाड़, टूटी-फूटी पड़ी है-खंडहर। उनसे कोई पूछता है कि वह बस्ती क्यों बर्बाद हो गई? तुम सब यहां छोड़ कर क्यों चले आए? तो वे कहते हैं, हमारे शास्त्रों में लिखा है, और हमारे पंडित-पुरोहित बताते हैं, और हमारे पिता और उनके पिता कहते थे कि एक बार एक अज्ञात बीमारी फैली थी, और उस बीमारी के कारण असली बस्ती को छोड़ कर हम यहां आ गए थे। अज्ञात काल में कभी वह घटना घटी थी। और कुल घटना इतनी घटी थी-काश कोई उस फकीर से पूछ लेता तो इतनी झंझट की कोई जरूरत नहीं थी-वह फकीर प्याज छीलता रहा था और प्याज छीलने की वजह से आंख में आंसू आ गए थे। लेकिन उससे किसी ने पूछा नहीं कि यह हुआ क्या। सारी परंपराएं इस भांति पैदा होती हैं। कोई प्याज छीलता है, आंख में आंसू आ जाते हैं। महामारियां फैल जाती हैं। गांव उजड़ जाते हैं। बस्तियां बदल जाती हैं। आदमी कुछ से कुछ हो जाता है। महावीर की जिंदगी में भी यही हुआ। सभी महापुरुषों की जिंदगी में यह होता है। महापुरुष वह है, उतना ही बड़ा महापुरुष, जितना ज्यादा मिसअंडरस्टैंड किया जा सके। जितना ज्यादा हम नासमझी कर सकें किसी आदमी के प्रति, वह उतना बड़ा आदमी है। छोटा आदमी वह है जिसको मिसअंडरस्टैंड करने की कोई गुंजाइश नहीं है। जो जैसा है वैसा है। असल में छोटे आदमी की हम कोई व्याख्या नहीं करते। साधारण आदमी की हम कोई व्याख्या नहीं करते। व्याख्या करें तो साधारण आदमी के साथ भी यही हो जाए। महापुरुषों की व्याख्या की जाती है। महावीर के तीन-चार सूत्रों पर मैं बात करना चाहता हूं जिनकी व्याख्या ने महावीर की एक झूठी, फाल्स इमेज, एक मिथ्या प्रतिमा हमारे सामने उपस्थित कर दी। और वैसा सभी महापुरुषों के साथ हुआ है। तो जो मैं महावीर के बाबत कहता हूं, वह सब महापुरुषों के बाबत शत-प्रतिशत वैसा का वैसा सच है। पहली बात, सारी दुनिया में यह कहा जाता है कि महावीर अहिंसा के जन्मदाता हैं। यह बात सरासर झूठ है। महावीर प्रेम के तो पुजारी हैं, अहिंसा का महावीर से कोई भी संबंध नहीं। 139
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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