SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीसस क्राइस्ट कहते हैं कि एक गाल पर मारे कोई चांटा तो दूसरा कर देना, शत्रु को भी प्रेम करना। और अनुयायी? अनुयायी सिवाय हत्या करने के दूसरा काम नहीं करते! बात क्या है ? यह प्रेम के संदेश देने वाले के आस-पास वे लोग इकट्ठे हो गए, जिनके जीवन में प्रेम बिलकुल नहीं था। वे आकर्षित हो गए। जो वे नहीं कर सकते थे, उस चीज के प्रति चकित हो गए। यह बहुत अदभुत बात है, यह बहुत कंट्राडिक्टरी बात है। लेकिन सारी दुनिया में यह हुआ। अगर महापुरुष का जीवन आप देखें और उसके आस-पास अनुयायी देखें, तो आप ठीक उलटे अनुयायी उसके आस-पास इकट्ठे पाएंगे। और ये उलटे अनुयायी उस महापुरुष में उन्हीं बातों की प्रशंसा करेंगे, जिन बातों की उनमें कमी है। उस प्रशंसा को बड़ी करते जाएंगे, बड़ी करते जाएंगे। आखिर वहां पहुंचा देंगे, एक्सट्रीम पर पहुंचा देंगे, महापुरुष झूठा मालूम पड़ने लगेगा उस सीमा तक बातों को खींच कर ले जाएंगे। इसमें महापुरुष का कसूर नहीं है, इसमें अनुयायी...। और अनुयायी अपनी कमियों को सब्स्टीटयूट कर रहा है, पूर्ण कर रहा है, महापुरुष से अपने भीतर जोड़ रहा है। थोड़ा सोचें तो दिखाई पड़ेगा। हिंदुस्तान में महावीर की, बुद्ध की शिक्षा त्याग की शिक्षा है, अपदार्थ की शिक्षा है-भौतिकता से मोह छोड़ना है, पदार्थ से ऊपर उठना है, मैटीरियलिज्म से ऊपर उठना है। लेकिन अनुयायी जितने मैटीरियलिस्ट हैं, देख कर हैरानी होती है। जितने पदार्थ को जोर से पकड़े हुए हैं, देख कर हैरानी होती है। उन्होंने महावीर के मंदिर भी बनाए हैं तो सोने की मूर्तियां बना दी हैं! उस महावीर की, जो बेचारा जीवन भर कह रहा है कि सोना मिट्टी है। उन्होंने महावीर पर धन की तिजोरियां इकट्ठी कर दी हैं। उस महावीर पर, जो कह रहा है धन राख है, धन छोड़ दो, धन का कोई मूल्य नहीं। महावीर के उस मंदिर पर, जो महावीर हाथ में एक लकड़ी भी नहीं रखता, जो कहता है कि हाथ में लकड़ी भी रखनी हिंसक होने का सबत है. संभावित शत्र की तैयारी है; हाथ में लकड़ी रखनी कायरता का सबूत है, क्योंकि जो भयभीत है, वह शस्त्र रखता है-जो महावीर हाथ में लकड़ी भी नहीं रखता, उसके मंदिर के सामने बंदूकधारी पहरेदार खड़ा हुआ है! आश्चर्य की बातें हैं, मिरेकल है, चमत्कार है! यह क्या हो रहा है? और यही लोग महावीर की प्रशंसा कर रहे हैं, गुणगान कर रहे हैं, तो हो गई महावीर की जिंदगी ठीक। ये जो जिंदगी खड़ी करेंगे, वह जिंदगी झूठी होगी, फाल्स होगी; बिलकुल झूठ होगी, क्योंकि इनके द्वारा खड़ी होगी। दुनिया भर के महापुरुषों के साथ ऐसा हुआ। एक के साथ हुआ होता, ऐसी बात नहीं। इसलिए कोई यह न सोचे कि महावीर के साथ जो हुआ है, वह दूसरों के साथ नहीं हुआ; वह सबके साथ हुआ है। जो मैं महावीर के लिए कह रहा हूं, वह केवल प्रतीक है। वह सबके साथ हुआ है। तो हम जो जिंदगी खड़ी कर लेते हैं, वह हमारी देखी गई जिंदगी है, महावीर की जिंदगी नहीं है। महावीर को जैसा हम देखते हैं! हम कैसा देखते हैं? हम उसी शक्ल में देखते हैं, जिसकी हमारे भीतर कमी है। हम देखते हैं कि मैं तो स्त्री को छोड़ कर नहीं जा सकता, महावीर स्त्री को छोड़ कर जा रहे हैं! मैं धन नहीं छोड़ सकता, महावीर धन छोड़ रहे हैं। मैं मकान नहीं 116
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy