SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महायोर परिचय और वाणी ३२३ देता है तर यह गारी पर ध्यान नहीं दना, वह अपने प्रोष पर ध्यान देता है । जय कोई सुदर म्ली रास्न पर दिखाई पड़ता है तब वह उस स्त्री से ध्यान हटाकर अपने भीतर जाता है और दपना काम वामता विस तरह भीतर उठ रही है। अगर आपका गारी दी जाय तो आपने भीतर क्या-क्या होगा, आप उस दसें । आप उसपी क्या क्या व्यवस्था परत है ? आपर गीतर भोप पंस उठता है ? आप गाली देने वार मे क्या प्रतिकार लेना चाहो है । हत्या करना चाहते हैं गाली देना चाहते हैं, गावाना चाहते हैं ? क्या करना चाहते है? इन समी याता पर ध्यान से जाएं और तब आप पाएंगे कि आपन स्वाध्याय रिया है। इस स्वाध्याय स आप गानी बनकर बाहर रौटेंगे । आपको अपन सम्बध म जानकारी बढ़ जाएगी। आपा यह भी पता चल पाएगा नि महत्वपूर्ण यह नहा है कि पिगी ने गाली दी, महत्त्वपूर्ण यर है पिमा यसा अनुभव दिया। ओर मा यह पि आप उस गाली या उत्तर दने बनवमी 7 जाएग, क्यापि आप बदर गए हागे। इस गान से, इस स्वाध्याय से आप वही भादमी नहा रह गए जिम गाली दी गई थी। (५) ग्यारहवां तप या पांचवां तर तप है ध्यान । जा दस तपा से गुजरते हैं, उहें ध्यान को समयना पाठिन नहीं होता। ध्यान पा ता करपे ही समझा जा सकता है। यह प्रेम जमा है या तरन जमा। उसे जो करता है वही जानता है। प्रेम एप पाट है, एर आमव, एक अस्तित्वगन प्रतीति । सरना भी एव सत्तागत प्रतीति है। दूगर व्यक्ति को तरते हुए दयपर भी नाप नहीं 117 सपने कि घर अनुभव कमा हाता है। दूसरे को प्रेम म डूबा हुआ देकर भी आप नहा जान रावते पि प्रेम उरो ति मामाजापार र जाता है। ध्यान म सहे महावीर यो देगर आप नही जान सपते घ्या क्या है। ध्यान से सम्पब म रवय महावीर पुरानी यता भी टीगे समाना पहा पाने पिया क्या है। ठीर ध्यान पी बात तो यहत दूर है गरप्त ध्यान पा भी हम मार स्वार ही ६ गिरे जापार पर समाया जा सर पि टोर वया है। महावीर इस पप्पी पर असर नागी पिहोंने गला मामी पायी। गा पान पो पचा ता बहुत गान है। य यी विशिष्ट याशिमीर से शुसार तीय पोप मा जागी एr तर गा प्यान म आ जाना है। frieम तीन ग्राम ही आग पनि नान जी की उपरती हार Tथा। अगर मार इनने गहर और भ ा जा frजीपापो गारी जग मोरये frg पर लगे जो झार पतिमा गारा पिरणे शाप पर टररमा पानापासा पान पानाहा पाएगा। जिला ज्यान मारामार . होमा मामान पर मनाए ताटार पा TV । पतना जार तापार पर गहर - - - - - - - -
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy