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________________ महावीर परिचय और वाणी २२३ यह है कि इस गत म पदा की गई काई भी ध्वनि कभी भी नष्ट नहीं होती। वह अन त माया म सगहीत होती चली जाती है, आकाश म मी मूश्म तर पर गूज वन जात है। (४) अगर सदभाव भार मगल्यामना मे भरा हुआ कोई आदमी जल की एक मटकी को कुछ देर हाथ म लिये रहे तो उस मटकी का जल गुणा मरम्पस परि वर्तित हो जाता है। स्मी वानिय कामेनियाव जोर अमरीकी नानिव डॉ० रुडाल्फ किर ने अनेक प्रयोगा से यह सिद्ध किया है कि एसे जल म रासायनिक परिवतन नहा होता रेविन गुणात्मय परिवतन अवश्य हो जाता है । अगर उस जल को वीजा पर छिडका जाय ता व जल्द अकुरित होत ह । उनम बडे फर रगत है उनके पोये ज्यादा स्वस्थ हात है। अगर रुग्ण, विक्षिप्त और 'नेगेटिव इमोगन से भरे हुए व्यक्ति के हाथ मे रसा गया जल बोजा पर छिटवा जाय ता वीज अकुरित ही नहीं होते, या अबुरित होते है तो रग्ण अकुरित होते हैं। यदि मगल-अमगल भावनाआ के कारण जल म यह रूपान्तरण हो मक्ता है तो हमारे चारा ओर फर हुए आयाम भी हो सकता है। किमी मत्र की प्राथमिक आधारशिला यही है । मगल भावनामा से भरा हुआ मम हमार चारा ओर आकाश म गुणात्मक असर पैदा करता रहता है। मोर उस मन से भरा हुआ यक्ति भी जब आपके पास मे गुजरता है तव आपम तत्काल परिवतन हा जाता है। (५) एक दूसरे स्मी धनानिक किररियान ने हाइ फ्रिक्वेंसी वी फाटोग्राफी विकसित की है। अगर एसी फोटोग्राफा स मेरे हाय का चित्र लिया जाय तो उससे मरे हाथ का ही चित्र नही आता इससे जो किरणें निपल रही हैं उनका भी चित्र आता है। आश्चय की बात तो यह है कि अगर मैं निषेधात्मक विचारा से भरा हूँ ता मेरे हाथ के भासपास जो विद्युत् ऐटम्स है उनका चिन अस्वस्थ, रुग्ण और अरा जय होता है, माना किसी पागल बादमी द्वारा सीची गई लवीरें हा। शुम भावनामा से भरे हुए व्यक्ति के हाथ में मासपास जो किरणें ह उनका चित्र लयवद्ध, सुदर और सानुपातिक होता है । विररियान का कहना है कि बहुत जल्द ही वह समय मानवाला है जब किसी के बीमार हान के पहले ही हम यह बताने में समय हो जायेंगे पि वह वीमार होनेवाला है। शरीर पर बीमारी के उतरन के पहले विद्युत के वतुल पर बीमारी उतर जाती है। इसके पहरे कि आदमी मरे, उसके विद्युत के वतुर का सिकुडना आरम्भ हो जाता है। इसके पहले पि कोइ आदमी हत्या करे, उस. विद्युत के वतर म ही हत्या के लक्षण दौरा पड़न रगत हैं। प्रत्यय मनुष्य अपने आसपास पय आमामडर रेपर चलता है। आप अवेल ही नहा चलत, जापर आसपास एव विद्युत वतुल, एक इलेक्ट्रोडाइनामिक फील्ड भी चलता है। यह आमामडल पशुआ और पड-पौधो के भी आसपास होता है। इसी
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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