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________________ महायोर परिचय और याणी घर युग पाजा जा सकता है और न वे चाद-तारे जिनपे नीचे महावीर या जाम हुआ था। इमलिए दूमरा योर थामी जब भी महावीर होने की कोशिश करेगा तब वह चोर महावीर हो जायगा । इस तरह को चोरी कोही हमन दुर्भाग्यवश, धम समा लिया है। इसलिए हमम बार जन है काई इसाई है पाई हित है, कोह नौद्ध है। यह घम के नाम पर गग चोरी है। अनुमाया पोर होगा ही आ यात्मिक अर्यों म। उसने दूसरे व्यक्तिरवा यो घुरापर अपन पर ओटना पुर पर रिया है-उन पस्तित्वा मोजा उमर नहा हैं । पाप इसका परिणाम होगा। न तो में किमी की जगह जो सस्ता हूँ और न पिता की जगह मर सकता है। मरा अनुमय अनिवायरपण शिजी हागा और जिम दिन निजी हागा उसी दिन में अचोरा पो उपरब्ब होगा, उसके पहले नहीं । जिस दिन मरे पास कोई ओटा हुआ व्यक्ति व होगा उस दिन मैं अचोरी को उपध हो जाऊंगा अपया में रही बना रहूगा। ध्यान रहे, यस्तुआ को चोरी उम दिन यहन जल्ट यत हो जायगी जिस दिन वस्तुएँ यहा ज्यादा हो जायगी रेपिन व्यक्तिवा वी पारी जारी रहेगी। हम चुरात ही रहेंगे, दूसरों को माइत हा रहेंगे। इस पर आप जरा गौर परगे रि आप म्यय हैान सी निम्मत जुटा पाए या नहा । अगर नहा जुटा पाए ता आपा यत्तिय भी अनिवाय आधार गिरा पारी को होगी। आपन पाई और पाने पी पोगिता नहा वी? आपने घेता वचनन म पहा भी ता किमी जोर जगा हा जान पा आग्रह नहा है। अगर है तो उस मामह या टीर ग गमावर उममे मुक्त हो जाना जारी है, अ यया अचारी याम्पिति पंदा नहा होगी। और या चारी एक ऐमी चारा है जिससे नापको कोई गर नहा मरता । पन ये चार या तो परहा जा सपना है परतु य्पत्ति जमी गूक्ष्म नीज से पार पापोन पगाग पडेगा? व्यक्ति र पी पारीएर एगी चारी है जिसमें पिगी म पुप पोनत मानहा और आप चार तो बात है। व्यक्ति य पी चारा आसान और मर । गुबह म उमर - राना जारी है कि में रिवनी मार दूगरा हा जाना पिननी धार पति नहा सा पाना दतिया गाणा मुम सा मागता हैरि मेरा पाग असार अपना प्यसिप हाई परतु मात्रा में पाना । अगर पार नारा पीतामाता गगा विमा हैं मालामबाए और मात्रा पोत मासा fru राना या दोन । यहापीर पी तरह गाउमा उदनगर है ठोग महारrant किया जाना पवर पाहर है। भाभी 77 परीशा शापा है पनि सर राई भागा नपा मामा प्रसार पाया है जो मानहा राजा. यामान पामाहाग है। अEET पाटिन मना माता
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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