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________________ आराम फरमाता रहता है तथा खाने को मिल गया तो मजे से खाता रहता है। यह अपने सिर के बालो की सहायता से बहुत-से कार्य करता है। वैसलीन जैसे पदार्थ की सहायता से तिलचट्टो के पैर दीवारो पर टिके रहते हैं तथा चिपकते हुए चलते हैं। यही कारण है कि तिलचट्टे दीवार पर उलटे भी चल सकते है और सीधे भी। हमारे घरो मे रहनेवाले तिलचट्टे किसी काम में नहीं आते, जबकि खेतों मे ये सडे पौधो और वृक्षो को खाकर सफाई का काम करते हैं तथा भूमि को उपजाऊ बनाते भंग . कितने-कितने छोटे कीटो मे भृग का महत्त्व इसलिए है कि इनकी 2,50,000 से भी अधिक जातियाँ या किस्मे अभी तक खोजी जा चुकी हैं। कुछ भृग तो इतने छोटे होते हैं कि वे शकर या नमक के एक दाने से बड़े नहीं होते। गोलियाथ भृग केले के बराबर लबा और चौडा होता है। एक अन्य प्रकार के भृग का नाम 'बारहसिगा' भृग है। बडे-बडे भृगो की विशाल सूंडो को अफ्रीकावासी बकायदा तेल मे तलकर खाते हैं। MAP NM 200 पतलको अर्यजना वत
SR No.009966
Book TitleKeet Patango ki Ascharyajanak Baten
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnish Prakash
PublisherVidya Vihar
Publication Year1960
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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