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________________ ज्यों था त्यों ठहराया एक यहूदी धर्मगुरु मरा। स्वर्ग पहुंचा। देख कर बहुत हैरान हुआ कि वहां कुल-जमा तीन आदमी हैं! कुछ तीन! बड़ा चकित हआ। वे भी तीन क्या कर रहे हैं--बड़ा हैरान हुआ! एक तो हैं मगरूर जी भाई मोरारजी भाई देसाई। वे मेरी किताब संभोग से समाधि की ओर पढ़ रहे हैं! दूसरे हैं अयातुल्ला खोमैनियाक, वे प्ले बॉय पढ़ रहे हैं! तीसरा है पोप वेटिकन का, पोलक; वे प्ले गर्ल पढ़ रहे हैं। और वे भी पुराने न मालूम कब के संस्करण, जो किसी तरह स्मगल कर लाए होंगे स्वर्ग में। क्योंकि स्वर्ग में ये सब पत्रिकाएं नहीं मिलती। और न किताबें मिलती! उस यहूदी फकीर ने परमात्मा से जा कर कहा कि यह मैं क्या देख रहा हूं! कुल तीन आदमी! और वे भी गजब की चीजें पढ़ रहे हैं। और बड़े धार्मिक भाव से पढ़ रहे हैं! तो मैं एक बार इसके पहले कि तय करूं कि मुझे कहां बसना है--नर्क भी देख लेना चाहता हूं। परमात्मा ने कहा, तुम्हारी मर्जी। नर्क भी देख आओ। तो चौबीस घंटे वह नर्क गया। देखा तो बड़ा दंग हुआ। वहां न तो कोई आग के कड़ाहे जल रहे हैं; न कोई आग के कड़ाहों में भूना जा रहा है। न किन्हीं की गर्दनें काटी जा रही हैं; न कोई सूली पर लटकाया जा रहा है! न कोई कोड़े चल रहे हैं। वहां तो बड़ा सन्नाटा है; बड़ी शांति है। संगीत बज रहा है। बांसुरी बज रही है। कृष्ण वहां बांसुरी बजा रहे हैं। महावीर वहां ध्यान कर रहे हैं। बुद्ध वहां मौन से बैठे हैं। लोग नाच रहे हैं! लोग समारोह मना रहे हैं। उसने सोचा--हद्द हो गई! और बड़े बैंड-बाजे हैं। वह लौट कर आया। उसने कहा कि यह मामला क्या है? यह सब उलट हालत हो गई है! यह स्वर्ग है आपका! सब उदास पड़ा है। धूल जमी है। और ये तीन खूसट--ये बैठे हैं यहां! इनको देख कर आदमी को घबड़ाहट लगे। इनका कौन सत्संग करे! और नर्क में बड़ी मौज चल रही है। आनंद ही आनंद है। कम से कम आप एक बैंड-बाजा तो खरीद लो। तो ईश्वर ने गुर्रा कर कहा कि इन तीन खूसटों के लिए बैंड-बाजा खरीदने के लिए पैसा कहां! तो उस यहूदी फकीर ने कहा, मैं तो नरक चला। आप क्षमा करें। नाराज न हों। मैं नरक चला। ईश्वर ने का, ठहरो। मैं भी आता हूं। ये तीन मेरी भी जान खोए जा रहे हैं! जहां बुद्ध होंगे, वहां स्वर्ग होगा। स्वर्ग में बुद्ध नहीं जाते; जहां जाते हैं, वहां स्वर्ग बन जाता है। तुमसे कहा गया है कि बुद्धपुरुष स्वर्ग जाते हैं। मैं तुमसे कहता हूं--बुद्धपुरुष जहां जाते हैं, वहां स्वर्ग बन जाता है। तुमसे कहा गया है कि जो अबुद्ध हैं, वे नर्क जाते हैं। नहीं। वे जहां जाएं--स्वर्ग में भी चले जाएं--वहां नर्क बन जाएगा। आदमी अपने साथ अपना स्वर्ग और नर्क ले कर चलता है। पाखंडियों की जमात जहां इकट्ठी हो जाएगी, वहां नर्क होगा। मत फिक्र करना अपमान की। प्रामाणिक रूप से जी कर अपमान मिले, तो भी जीवन में एक सुगंध होती है, एक रस होता है, एक अहोभाव होता है। गर्दन भी कट जाए...। जीसस Page 86 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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