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________________ ज्यों था त्यों ठहराया आदमी आधा नर, आधा पशु ही है। अभी भी नरसिंह अवतार ही चल रहा है! अभी भी पूरा मनुष्य नहीं हो पाया। पूरा मनुष्य तो कोई बुद्ध होता है। सभी पूरे मनुष्य नहीं हो पाते। तो उसे लिटा देता है मनोवैज्ञानिक अभी टब में। और चकित हआ यह जान कर कि अभीअभी पैदा हुआ बच्चा टब में लेट कर बड़ा प्रफुल्लित होता है, मुस्कुराता है। एकदम से रोशनी नहीं करता कमरे में। यह सारी प्रक्रिया जन्म की बड़ी धीमी रोशनी में होती है, मोमबत्ती की रोशनी में--कि बच्चे की आंखों को चोट न पहुंचे। हमारे अस्पतालों में बड़े तेज बल्ब लगे होते हैं, टयूब लाईट लगे होते हैं। जरा सोचो तो, नौ महीने जो मां के पेट में अंधकार में रहा है, उसे एकदम टयूब लाइट...! चश्मे लगवा दोगे। आधी दुनिया चश्मे लगाई हुई है। छोटे-छोटे बच्चों को चश्मे लगाने पड़ रहे हैं। यह डाक्टरों की कृपा है! अंधे करवा दोगे न मालूम कितनों को! आंखों के तंतु अभी बच्चे के बहुत कोमल हैं। पहली बार आंख खोली है। जरा आहिस्ता से पहचान होने दो। क्रमशः पाठ सिखाओ। मोमबत्ती का दूर धीमा-सा प्रकाश। फिर आहिस्ता-आहिस्ता प्रकाश को बढ़ाता है। धीरे-धीरे, ताकि बच्चे की आंखें राजी होती जाएं। यह बच्चे को स्वाभाविक जन्म देने की प्रक्रिया है। इस बच्चे की जिंदगी कई अर्थों में और ढंग की होगी। यह कई बीमारियों से बच जाएगा। इसकी आंखें शायद सदा स्वस्थ रहेंगी और इसके जीवन में एक मुस्कुराहट होगी, जो स्वाभाविक होगी। और इस बच्चे को तैरना सिखाना बहुत आसान होगा, एकदम आसान होगा। तैरना भूली भाषा को याद करना है। हम जानते थे मां के पेट में, फिर भूल गए हैं। इसलिए जल्दी ही आ जाता है तैरना, कोई ज्यादा देर नहीं लगती। और एक बार आ गया, तो फिर कभी नहीं भूलता। फिर हम उसके प्रति सचेतन हो गए। लेकिन पानी में तो उतरना ही होगा। तर्कशास्त्र कहेगा पहले तैरना सीख लो, फिर पानी में उतरना। शायद कार चलाना भी सिखाया जा सकता है बिना सड़क पर लाए, लेकिन तैरना तो नहीं सिखाया जा सकता। अमरीका के एक विश्वविद्यालय में उन्होंने कार चलाना सिखाने की व्यवस्था की है बिना सड़क पर लाए, क्योंकि सड़क पर लाने में खतरा तो है वही। कार सीखने वाला आदमी कुछ भी खतरा कर सकता है--किसी की जान ले ले, किसी से टकरा दे; वह न टकराए, तो दूसरे कितने ही बेहोश चले जा रहे हैं भागे, वे उससे टकरा दें। इसलिए सिक्खड़ को एल अक्षर अपनी कार पर लटकाना पड़ता है--लघनग। वह उसके लिए नहीं है, वह उनके लिए है जो चारों तरफ से भागे चले जा रहे हैं कि जरा सावधान रहना! इस बेचारे को बचाना! यह अभी नया-नया है। अभी सीख रहा है, सिक्खड़ है। तो उन्होंने एक व्यवस्था की है। एक बड़े हाल में दीवालों पर सड़कें होती हैं। मतलब जैसे फिल्म चलती है। दीवालों पर फिल्म चलती है। एक फिल्म इस दीवाल पर चल रही है, एक फिल्म इस दीवाल पर चल रही है। एक फिल्म में कारें भागी जा रही है इस तरफ, दूसरी फिल्म में कारें भागी जा रही हैं उस तरफ। लोग चल रहे हैं, लोग आ रहे हैं, लोग जा रहे हैं। सामने की दीवाल पर रास्ते पर चौरस्ते पर पुलिस वाला खड़ा है। वह भी फिल्म। आदमी Page 43 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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