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________________ ज्यों था त्यों ठहराया गौ-भक्ति क्या है यह? किसलिए है? और अगर दूध के कारण ही गौ-भक्ति है, तो फिर भैंस की भक्ति क्यों नहीं करते? आखिर भैंस का क्या कसूर है बेचारी का! न तो मेरी किसी तक कोई पहुंच है, न मुझे किसी तक पहुंच की कोई जरूरत है। मैं अपने कमरे के बाहर नहीं जाता, पहुंचूंगा कैसे! और अगर मेरी पहुंच होती भी तो मैं इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातों में रस नहीं लेता। जिंदगी में बड़े सवाल हैं और तुम कहां गौ-हत्या की बातों में पड़े हो! ये ही मूढ जन, ये ही देहाती किस्म के साधु-संत, गंवार जिनको कहना चाहिए--गंवार का मतलब समझ लेना, गांव के, और कुछ मतलब नहीं है। गंवार यानी गांव के--ये ही भारत को बीसवीं सदी में नहीं आने दे रहे हैं। इन्हीं दुष्टों के कारण भारत पिछड़ा हुआ है। यह कोई हजार साल पीछे जिंदा है। दुनिया कहां से कहां पहुंच गई! आदमी जमीन से चांद तक पहुंच गया। ये गऊ के थन से अटके हुए हैं! और थन में से कुछ निकलता भी नहीं। कुछ निकले तो भी ठीक, मगर थन ही खींच रहे हैं। और गौ-भक्ति चल रही है! मगर ये सब राजनीतिक दांव-पेंच हैं। यह हिंदू-मन का शोषण है। हिंदू की धारणा है गौ-भक्ति की। तो बस हिंदू-मन को शोषण करना हो, तो गौ-भक्ति की बात करो। और वे कहते हैं कि अगर मैं इतना कर दूं, तो वे मेरे शिष्य हो जाएंगे। तुम तो हो जाओगे, मगर मैं तुम्हें शिष्य स्वीकार करूंगा? कभी नहीं! ऐसे दकियानूसी लोगों को मैं शिष्य स्वीकार नहीं करता। और पहली तो बात यह कि शिष्य होने की शर्त नहीं होती। और तुम शर्त लगा रहे हो। सशर्त कोई शिष्य होता है? शिष्य का अर्थ ही होता: बेशर्त समर्पण। वे शर्त लगा रहे हैं कि गौ-हत्या बंद करवा दूं, तो मेरे शिष्य हो जाएंगे! जैसे मुझे प्रलोभन दे रहे हों; जैसे मुझे कुछ रस हो इनके शिष्य होने में! इनका क्या करूंगा? और एक बांझ गाय बांध ली घर में! इनका करना क्या है! कोई यहां श्रीमदभागवत सप्ताह करवाना है? और श्रीमदभागवत में है भी क्या? जो हिंदू नहीं है, अगर वह पढ़ेगा श्रीमदभागवत तो हैरान होगा कि कृष्ण की जिन लीलाओं का वर्णन है, अगर ये लीलाएं हर-एक करने लगे तो हरएक आदमी जेल में हो। फिर हमें जेल बड़े करना पड़ें। सच तो यह है कि हमें सबको जेल में कर देना पड़े, कुछ थोड़े-से लोग जो श्रीमदभागवत को मान कर न चलते हों, उनको बाहर। या यूं समझो कि अभी जो जेल हैं, उनको बाहर बना देना पड़े और अभी जो बाहर है उसको जेल बना देना पड़े। श्रीमद भागवत में है क्या? जरा सोचो, जरा विचारो। तुम्हारी स्त्रियों के जरा कोई कपड़े चुरा कर झाड़ पर चढ़ जाए, तो क्या करोगे? पुलिस में खबर करोगे कि इनकी पूजा करोगे? पूजा ही के अर्थों में पूजा करनी पड़ेगी फिर; ठीक से पूजा करनी पड़ेगी! जिसको मराठी में शिक्षा कहते हैं, वैसी शिक्षा देनी पड़ेगी। Page 244 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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