SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्यों था त्यों ठहराया पश्चिम में उम्र बढ़ गई है। सौ साल के पार जा चुकी है। आज रूस में बहुत से लोग हैं, जिनकी उम्र एक सौ पचास के करीब पहुंच गई। सब से बड़ी उम्र का आदमी एक सौ चौरासी वर्ष का है, और अभी भी काम कर रहा है। अमरीका में, स्वीडन में, स्विटजरलैंड में उम्र का मापदंड बहुत ऊपर पहुंच गया है। और तब वहां एक नई चर्चा शुरू हुई--अथनासिया की, मृत्यु की, स्वतंत्रता की। क्योंकि बूढे यह कह रहे हैं कि हमारा यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि जब हम मरना चाहें, हमें मरने दिया जा! हमें हैरानी होती है सुन कर--अथनासिया की बात। मृत्यु का जन्मसिद्ध अधिकार--यह भी कोई बात है! किसी ने सुनी? किसी विधान में दुनिया के अभी तक नहीं रही। लेकिन अब लानी पड़ेगी, क्योंकि आंदोलन गति पकड़ रहा है। लानी पड़ेगी। जो आदमी सौ साल के ऊपर हो गया, जी चुका काफी, वह कहता है कि अब मुझे जी कर क्या करना है? जो देखना था, देख लिया। जो भोगना था, भोग लिया। अब मुझे क्यों सड़ाते हो? और अभी मुश्किल यह है कि कानूनी उसको मरने का हक नहीं है। यदि करने की कोशिश करे, तो सजा खाएगा, जेल जाएगा। आत्महत्या का प्रयास समझा जाएगा। पाप है। अपराध है। अभी अस्पतालों में यूरोप और अमरीका के ऐसे बहुत से लोग पड़े हैं, जिनकी हालत जीवित नहीं कही जा सकती। लेकिन बस, सांस ले रहे हैं। सांस भी ले रहे हैं, वह भी कृत्रिम, यंत्र के द्वारा सांस ले रहे हैं। डाक्टरों के सामने सवाल है--करीब-करीब दुनिया के सभी प्रतिष्ठित डाक्टरों के सामने यह चिंता है कि करना क्या? क्या हम उनको आक्सीजन देना बंद कर दें? बंद करते ही वे मर जाएंगे। तो पुरानी अब तक की धारणा कहती है कि आक्सीजन तुमने अगर बंद की, तो तुम उनकी हत्या के जिम्मेदार हए। तुमने इस आदमी को मार डाला। और इस आदमी को जिला कर क्या करना है? क्योंकि वह पड़ा है--साग-सब्जी की भांति-- गोभी-गाजर! गोभी-गाजर भी नहीं, क्योंकि गोभी-गाजर किसी काम आ जाए; वह किसी काम का नहीं। और दस-पांच आदमियों को उलझाए हुए है। एक नर्स लगी हुई है। एक डाक्टर लगा हुआ है। और चौबीस घंटे उसकी फिक्र करनी पड़ रही है। यह इंजेक्शन दो, वह इंजेक्शन दो! टांग ऊपर बंधी हुई हैं; वजन लटकाए गए हैं। न उसे होश है। वह कोमा में पड़ा है। एक महिला को मैं देखने गया। वह नौ महीने से कोमा में है। अब सवाल उठता है कि इसको कब तक जिलाए रखना? क्यों--क्या प्रयोजन है? मगर कौन मारने का हकदार है! क्या डाक्टर आक्सीजन देना बंद कर दे। तो डाक्टर के हृदय में भीतर कचोट होगी, क्योंकि उसका भी शिक्षण तो हआ है पुराने आधारों पर। वह भी सो नहीं पाएगा रात में, कि यह मैंने क्या किया! मैंने उस आदमी को मार डाला! पता नहीं: वह ठीक हो जाता, फिर। या हो सकता है, वह अभी और जीना चाहता हो। उसकी आकांक्षा के विपरीत जाने वाला मैं कौन हूं! और उसको जिलाए रखू...! और हो सकता है, वह मरना चाहता हो। क्योंकि क्या करेगा जीकर--ऐसी अवस्था में? Page 24 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy