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________________ ज्यों था त्यों ठहराया सभी को हारना है। और सभी की मौत आज नहीं कल आने ही वाली है। फिर भी दो और दो पांच हो जाएं...! जो नहीं हो सकता है--वही हम मांगते फिरते हैं। जो हो सकता है, वह तो हो ही रहा है। उसको मांगने की जरूरत नहीं है। अभी भी लोग वही कर रहे हैं, तो जब परमात्मा बाजार में ही रहता रहा होगा, लोगों ने उसका जीना हराम कर दिया होगा! अभी भी भक्तों ने उसका जीना हराम किया हुआ होगा। इनकी सबकी अगर वह प्रार्थनाएं सुनता होगा, तो तुम सोचो, पगला गया होगा! आत्महत्या कर ली होगी! कभी का समाप्त हो गया होगा। लोग दिन-रात चौबीस घंटे उसके द्वार पर खड़े रहते। और ऐसी-ऐसी प्रार्थनाएं, जो एक दूसरे के विपरीत पड़ती! पूरी भी करे, तो कैसे करे! कोई चाहता है कि आज वर्षा हो, क्योंकि उसने बीज बोए हैं। और कोई चाहता है: आज वर्षा न हो, क्योंकि उसने कपड़े रंगे हैं और कपड़े सुखाने हैं। कोई चाहता है, आज धूप निकले। और कोई चाहता है, आज धूप न निकले। किस-किस की चाहें पूरी हों। कैसे पूरी हों? चाहें विरोधाभासी हैं। इस पृथ्वी पर चार अरब आदमी हैं, चार अरब चाहें हैं--सबके विरोध में। सत्तर करोड़ लोग इस देश में हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रधानमंत्री होना चाहता है। राष्ट्रपति होना चाहता है! यह कैसे होगा? आपाधापी होगी। दौड़धूप होगी। खींचतान होगी। उपद्रव होगा। इसलिए तो राजनीति उपद्रव बन जाती है। राजनीति संघर्ष हो जाती है। क्योंकि सारे महत्वाकांक्षी एक दूसरे की गर्दन पर सवार है; एक दूसरे के सिर पर पैर रख कर चढ़ जाना चाहते हैं पदों पर! खींचातानी होगी। उठा पटक होगी। परमात्मा घबड़ा गया। कहानी कहती है--बहुत घबड़ा गया! उसने अपने संगी-साथियों को बुलाया। पूछा कि क्या करूं? ऐसी कोई जगह बताओ, जहां छिप रहूं। किसी ने कहा, आप हिमालय पर छिप जाओ--गौरीशंकर पर! परमात्मा ने कहा, तुम्हें पता नहीं, अभी थोड़ी-ही देर में हिलेरी और तेनसिंग पैदा होंगे और वे गौरीशंकर पर पहुंच जाएंगे। और एक दहा एक आदमी पहुंचा कि फिर कतार लग जाएगी। यह कुछ स्थायी हल न हुआ। और एक दफा पता चल गया कि मैं गौरीशंकर पर हूं कि बसें पहुंच जाएंगी, होटलें खुल जाएंगी, ट्रेनें चलने लगेंगी। हेलीकाप्टर उतरने लगेंगे। वही उपद्रव हो जाएगी। वही बाजार भर जाएगा। कुछ और सोचो! किसी ने कहा, चांद पर क्यों नहीं चले जाते? ईश्वर ने कहा कि वह और समझो कि थोड़ी देर और बच रहूंगा। लेकिन कितनी देर! अनंत काल ईश्वर के सामने है। दिन दो दिन के बचने का सवाल नहीं। तब एक बूढे सलाहकार ने ईश्वर के कान में सलाह दी। और ईश्वर ने कहा, ठीक। यह बात ठीक। उस बूढ़े ने क्या सलाह दी? उसने कहा, आप आदमी के भीतर छिप रहो। वहां आदमी कभी न जाएगा। सब जगह जाएगा--गौरीशंकर चढ़ेगा, चांद पर पहुंचेगा, मंगल पर पहुंचेगा, तारों Page 228 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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