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________________ ज्यों था त्यों ठहराया भीतर कुछ भी लहीं। कोई अर्थ नहीं। कोई गौरव नहीं, कोई गरिमा नहीं। कोई काव्य नहीं, कोई संगीत नहीं। अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है मैं बहारों में जला और किनारों में बहा, मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए दिल मेरा प्यार भरा प्यारा का भूखा ही रहा। जिंदगी मेरी सिसकती रहेगी क्या यूं ही क्या मुझे कोई सहारा न मिल सकेगा कभी? बहारें देखती हैं मुड़ के मगर रुकती नहीं, कोई भी फूल क्या मेरा न खिल सकेगा कभी? इससे बढ़ कर के भला और क्या है मजबूरी अपने अरमानों की लाशों पर मुझे चलना पड़ा, छिपाता आया हूं जिसको मैं बड़ी मुद्दत से आज सब के ही सामने वह राज कहना पड़ा। अब तलक मुझ सी किसी पर भी नहीं गुजरी है मैं बहारों में जला और किनारों में बहा, मैंने हर आंख में ढूंढा है प्यार अपने लिए दिल मेरा प्यार भरा प्यार का भूखा ही रहा। इस जगत में तुम अगर प्रेम को खोज रहे हो, तो यह ऐसा ही है, जैसे कोई रेत से तेल को निचोड़ने की कोशिश कर रहो हो--जो नहीं है वहां। तुम किससे प्रेम मांग रहे हो? यह भी तो देखो कि तुम जिससे प्रेम मांग रहे हो, वह भी तुमसे प्रेम मांग रहा है! न उसके पास है, न तुम्हारे पास है। यहां हर कोई हर किसी से मांग रहा है। और सब भिखमंगे हैं। तुम भी चाहते हो, दुसरा प्रेम दे। और दूसरा भी चाहता है कि तुम प्रेम दो। और दोनों को इसकी फिक्र नहीं है कि है भी किसी के पास, जो दे दे? पहले होना तो चाहिए--देने के पहले होना चाहिए। इसलिए तो यहां हर व्यक्ति हारा हुआ है, थका हुआ है, परेशान है, पीड़ित है। कोई तुम्ही नहीं। समझो। इस मौके को चूको मत। बड़ी कृपा की उस युवती ने, जो किसी और की हो गई। तुम पर उसकी दया है, अनुकंपा है। उसने बड़ा प्रेम जतलाया तुम्हारे प्रति। एक अवसर दिया तुम्हें देखने का। तुम मांग रहे थे प्रेम। मगर तुम्हारे पास है? जिसके पास है, वह मांगता नहीं; वह देता है। और जिसके पास नहीं है, वह मांगता है। और किससे मांग रहे हो? जिसके पास हो, उससे मांगो। और प्रेम का झरना किसके पास होता है? जिसके पास ध्यान--उसके पास प्रेम। बिना ध्यान के प्रेम नहीं। Page 223 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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