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________________ ज्यों था त्यों ठहराया कल का भरोसा रखो। अगर बीते कल में धोखा खा गए थे, तो आने वाले कल में भी धोखा फिर खाओगे। ऐसी क्या जल्दी पड़ी है! और पूछते हो, जीवन में कोई रस नहीं रहा। अब मैं क्या करूं? अगर इस तरह ही रस आता हो, तो फिर कोई तलाश कर लो। युवतियों की कोई कमी है! पृथ्वी भरी पड़ी है। लेकिन अगर कुछ समझ की बात करनी हो, तो थोड़ा सोचो। तुमने बच्चों की कहानियां पढ़ी होंगी। बच्चों की कहानियों में यूं कहानियां आती हैं कि कोई राजा है उसके प्राण उसने तोते में रख दिए। इससे उसको कोई मार नहीं सकता। जब तक तोते को न मारे, राजा को नहीं मार सकता। राजा को कितना ही मारो, मरता ही नहीं। उसने प्राण अपने तोते में छिपा रखे हैं। जब तोते को पकड़ कर मार डालोगे, तो राजा मर जाएगा। ये कहानियां बड़ी ठीक हैं। अब यह तो यूं हआ कि तुमने अपने प्राण उस लड़की में रख दिए। इतने जल्दी गिरवी रख दिए! हर किसी के हाथ में दे देते हो प्राण! जीवन का रस ही चला गया। ज्यादा कुछ रहा नहीं होगा रस। भ्रांति में हो तुम कि रस था। ऐसे कहीं रस जाता है? रस को तुम जानते ही नहीं कि रस क्या है। जिन्होंने जाना है, उन्होंने कहा है--रसो वै सः। उन्होंने तो परमात्मा की परिभाषा को है कि वह रस है। उन्होंने तो सिर्फ परमात्मा को ही रस माना है; और किसी चीज का कोई रस नहीं है। मिल जाती स्त्री, तो भी रस खो जाता। और स्त्री गले से बंध जाती--सो अलग! फिर उससे छूटना मुश्किल हो जाता। जरा तुम उससे भी तो पूछो, जिसके गले बंध गई है! उसकी क्या हालत है! उसका भी तो बेचारे का दुख-दर्द जानो। उसका दुख-दर्द जान कर तुमको बड़ी सांत्वना मिलेगी, बड़ा आश्वासन मिलेगा। एक पागलखाने में एक राजनेता देखने गया था पागलखाने को। एक आदमी अपने बाल लोंच रहा था। छाती पीट रहा था। और हाथ में एक तस्वीर लिए था। आंखों से आंसू बह रहे थे-- झर-झर! छाती से लगाता था तस्वीर को। सींखचों में बंद था। पूछा उसने सुपरिंटेंडेंट को, इस आदमी को क्या हो गया! यह क्या कर रहा है? यह तस्वीर किसकी है? उसने कहा, यह तस्वीर एक स्त्री की है, जिसको यह पाना चाहता था और नहीं पा सका। जब से नहीं पाया, पागल हो गया है। (रहा होगा नगेंद्र जैसा!) बस, अब तब से यह बस बाल लोंचता है। रोता है। छाती से फोटो लगाता है। चीख-पुकार मचाता है। इसको पागलखाने में रखना पड़ा है। इसके घर के लोग परेशान हो गए। इसने सब का चैन हराम कर दिया है। राजनेता ने कहा, बेचारा! आगे बढ़े। दूसरे कटघरे में एक आदमी सींखचों को पकड़-पकड़ कर हिला रहा था। सींखचों से सिर मार रहा था। लहूलुहान हो रहा था उसका सिर। पूछा, इसको क्या हो गया? इस बेचारे को क्या हो गया? उस सुपरिंटेंडेंट ने कहा कि अब आप न पूछो, तो अच्छा। इसने उस लड़की से शादी कर ली, जिस लड़की की याद में पहला मरा जा रहा है। जब से इसने शादी की है, तब से Page 221 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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