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________________ ज्यों था त्यों ठहराया यह दुनिया बहुत अजीब है! बट्रेंड रसेल ने लिखा है कि अगर कहीं चोरी हो जाए, तो जो आदमी बहुत शोरगुल मचा रहा हो कि पकड़ो चोर को। मारो चोर को। कहां गया! कौन है! उसको पहले पकड़ लेना। क्योंकि बहुत संभावना यह है कि इसी ने चोरी की हो। यह तो मैंने बहुत बाद में पढ़ा। जब मैं छोटा बच्चा था, तो मेरे गांव में तरबूज-खरबूज बड़े सुंदर होते हैं। दर-दर तक उनकी ख्याति है। मेरे गांव में जो नदी बहती है, तरबूजों-खरबूजों के स्वादिष्ट होने के कारण उस नदी का नाम भी शक्कर हो गया है। नदी का नाम ही शक्कर! इतनी मिठास तरबूजोंखरबूजों में होती है। और एक ककड़ी तो खास होती है--शक्कर ककड़ी, जो हिंदुस्तान में कहीं होती ही नहीं। लाजबाव है वह! मैंने सारे देश में घूम कर तरबूज-खरबूज चखे हैं, लेकिन बात सच है कि शक्कर में जो, उस नदी के किनारे जो तरबूज-खरबूज होते हैं, उनका कोई मुकाबला नहीं। तो बचपन से ही मैं तरबूज-खरबूज चुराने जाता था। बड रसेल को तो बहुत बाद में मैंने पढ़ा। मगर यह तरकीब मैं पहले ही से उपयोग करता था। दो-चार लड़कों को लेकर घुस जाना तरबूज-खरबूज चुराने। और कभी पकड़ने की नौबत आ जाए, कि मालिक आ जाए, तो मालिक के साथ हो जाना। इतने जोर से शोरगुल मचाना कि पकड़ो। छोड़ो मत। यह आदमी हमेशा घुसता है! और मैं वहीं खड़ा हूं, बाकी तो भाग खड़े हो। स्वभावतः वह मालिक समझे कि यह आदमी तो चुरा सकता ही नहीं। यह तो यहीं खड़ा हुआ है। और साथ उसका दूं मैं, मालिक का--कि पकड़ो। पुलिस में ले जाओ! एक तरबूज-खरबूज के खेत में बार-बार यह हुआ। आखिर उसने कहा कि हर बार जब भी मैं आता हूं, तब यह छोकरा हमेशा ही यहां होता है! और हमेशा ही चिल्लाता है कि पकड़ो! उसने मुझसे पूछा, लेकिन यह माजरा क्या है--कि जब भी मेरे खेत में चोरी होती है, तुम हमेशा ही यहीं होते हो! और तुम हमेशा ही मेरा साथ देते हो। एकाध बार हो, तो संयोगवश। हो सकता है, तुम यहां रहे हो! मगर हमेशा! और आधी रात को! तो मैंने कहा कि मैं यहीं घूमता रहता हूं कि कहीं किसी की चोरी वगैरह न हो जाए! उसने कहा कि तुम्हारा भी अजीब हिसाब है! तुम चोरी किसी की न हो जाए...! मैंने कहा, इसीलिए कि गांव में कोई बच्चा चोरी न कर पाए, मैं यहीं घूमता हूं। आधी रात तक चक्कर लगाता रहता हूं। किसी के खेत में चोरी नहीं होनी चाहिए। उसने मुझे दो तरबूज भेंट किए। उसने कहा, बेटा, ऐसे ही--इसी तरह जीवन होना चाहिए! सात्विक जीवन! बेचारे चंदूलाल ने सोचा कि स्वामी मटकानाथ ब्रह्मचारी की ही रक्षा में छोड़ जाएं पत्नी को। सो छोड़ गए। Page 210 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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