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________________ ज्यों था त्यों ठहराया मुतमुइन हूं मैं बहुत चश्मेत्तवज्जोह से तेरी! मुझे पक्का भरोसा है कि तेरी करुणा भरी आंख है। इक न इक रोज उधर से ये इधर भी होगी। मड़ेगी मेरी तरफ भी। आज तारीकिए-माहौल से दम घुटता है। कल खड़ा चाहेगा तालिब तो सहर भी होगी।। मगर ध्यान रखना--खुदा चाहेगा तालिब तो सहर भी होगी। तुम्हारी चाह से नहीं होगा। तुम्हारी चाह छोड़ने से होगा। तुम कहते हो, क्या मैं भी कभी उस ज्योति को पा सकूँगा, जिसके दर्शन आपमें मुझे होते सत्यप्रेम! जरूर। लेकिन एक शर्त पूरी करनी होगी। यह चाह भी छोड़ दो। चाह ही बाधा है। यह चाह आखिरी बाधा है। इसको भी जाने दो। भरोसा करो। श्रद्धा करो। जिसने जीवन दिया है, और जीवन को परम सत्य पाने की अभीप्सा दी है--उसने जरूर इंतजाम कर रखा होगा। उसने पहले से ही इंतजाम कर रखा होगा। इस श्रद्धा का ही नाम धर्म है। धर्म सिद्धांतों में विश्वास का नाम नहीं है; अस्तित्व की परम करुणा में श्रद्धा का नाम है, इसलिए शिकायतें न करना। शिकवा बेसूद, शिकायत से भला क्या हासिल। जिंदगी है तो बहरहाल बसर भी होगी।। इसी उम्मीद पे मजलूम जिए जाता है। पर्देए-शब से नमुदार सहर भी होगी।। चाहता हूं तेरा दीदार मयस्सर हो जाए। सोचता हूं कि मुझे ताबे-नजर भी होगी? योद एय्यामे-गुलिस्तां को भुला रक्खा था। क्या खबर थी ये खालिश बारे-जिगर भी होगी।। हाए इन्सान, दरिंदों से हैं बढ़ कर वहशी। क्या किसी दौर में तकमीले-बशर भी होगी। मुतमुइन हूं मैं बहुत चश्मेतवज्जोह से तेरी। एक न इक रोज उधर से ये इधर भी होगी।। आज तारीकिए-माहौल से दम घुटता है। कल खुदा चाहेगा तालिब तो सहर भी होगी।। आज अंधेरे में प्राण छटपटा रहे हैं--माना। मगर शिकवा बेसूद, शिकायत से भला क्या हासिल। न शिकवा करना, न शिकायत करना। जिसकी जिंदगी से शिकवा और शिकायत गिर जाती है, उसकी जिंदगी से प्रार्थना उठती है। Page 144 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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