SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्यों था त्यों ठहराया मैं जानता था, यह होने वाला है। परसों भीतर से सहारा दिया था। कल बाहर से चोट मारी। गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है घड़ि-घडि काठै खोट भीतर हाथ संवार दे बाहर मारै चोट ! मगर वे नए-नए हैं। उनको क्या पता कि यहां क्या चल रहा है। रुक जाएंगे थोड़े दिन, तो साफ हो जाएगी बात कि क्या चल रहा है। वही चल रहा है, जो नानक के पास चल रहा था। वही चल रहा है, जो कबीर के पास चल रहा था। जीवित गुरु के पास होना आग के पास होना है जलाएगी भी, जगाएगी भी जो-जो व्यर्थ है, जल जाएगा। जो-जो असार है, राख हो जाएगा। और जो-जो सार है, निखर कर प्रकट होगा। सोना जब तक आग से न गुजरे, कुंदन नहीं बनता है। तीसरा प्रश्नः भगवान, आपके आश्रम में सूफी नृत्य में श्री राम, जय राम, जय जय राम की धुन गाई जाती है यह कैसा सूफी नृत्य है ? मेलाराम असरानी! मैं समझा तुम्हारी अड़चन, तुम्हारी उलझन । तुम सोचते होओगे कि सूफी नृत्य का कोई संबंध है इसलाम से; सूफी नृत्य का कोई संबंध है मुसलमान से। वहां तुम्हारी भ्रांति है। सूफी मुसलमानों में हुए, हिंदुओं में हिंदुओं में हुए, ईसाइयों में हुए, सिक्खों में हुए, बौद्धों में हुए। सूफी एक खास रंग का नाम है। सूफी तो एक खास ढंग का नाम है। सूफी का इसलाम से कोई गठबंधन नहीं । शब्द बनता है। सूफी होने का अर्थ सूफी शब्द बनता है सफा से। उसी सफा से जिससे सफाई है साफ-सुथरा हो जाना सफा! नहाए हुए, धोए हुए स्वस्थ ज्यूं था त्यूं ठहराया ! ! सद्यः स्नात ताजे स्वच्छ शुभ । सूफी मुसलमानों में हुए, लेकिन इससे यह मत समझ लेना कि सूफियों की सीमा मुसलमान की सीमा है। सूफियों की कोई सीमा नहीं है। मैं तो महावीर को भी सूफी कहूंगा। और नानक को भी सूफी कहूंगा। और तुम चकित होओगे कि मैं तो मुहम्मद को सूफी कहता हूं। मुहम्मद तो बाद में आए; सूफी होना तो सदा से रहा । -- सूफियों की परंपरा तो अनंत है। अलग-अलग रंगों में, अलग-अलग ढंगों में, अलग-अलग देशों में, अलग-अलग शब्दों में वह परंपरा उघड़ती रही। जीसस भी सूफी हैं और मूसा भी । सूफी होने का अर्थ स्वच्छ होना है। लेकिन हम तो धर्मों में बांधने के आदी हो जाते हैं जैसे कोई योग साधता है, तो हम सोचते हैं--हिंदू होना चाहिए। अब योग का हिंदू होने से क्या संबंध? मुसलमान योग साध सकता है। ईसाई योग साध सकता है। जैन योग साध सका है। बौद्ध योग साध सकता है। योग का कोई संबंध हिंदुओं से नहीं है। यह केवल आकस्मिक है कि योग की परंपरा का सूत्रपात हिंदुओं में हुआ और यह भी आकस्मिक है कि सूफियों की बड़ी धारा इसलाम में बही मगर छींटे तो सारे जगत में फैल गए। Page 133 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy