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________________ ज्यों था त्यों ठहराया नहीं। खलनायक से ही शादी करनी चाहिए। उसे पिटने का भी अनुभव होता है--और आदत भी! यह विवाह तो बड़ा अदभुत चक्कर है। इसमें बड़ा अभ्यास चाहिए। इसमें कुटाई पिटाई का बहुत अभ्यास चाहिए । गुलजान गुस्से से उबलते हुए मुल्ला नसरुद्दीन से बोली, तुम्हें नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी ? मुल्ला नसरुद्दीन ने शांत स्वर में जवाब दिया, अच्छा ही है। वरना सब जगह तुम्हारे साथ रहते-रहते मैं तो पागल ही हो जाऊंगा! -- अब चंद्रपाल भारती, मैं क्या तुम्हें मार्गदर्शन करूं। या तो हिम्मत से जूझो या पूंछ दबा कर भाग खड़े होओ। अब करोगे क्या और या तो हिम्मत से जुझो साफ पत्नी को स्पष्ट कर दो कि अगर इस तरह की कारगुजारी जारी रही, तो पृथक हो जाऊंगा। तो शायद उसे समझ में आए। क्योंकि उतनी जोखम वह भी नहीं लेना चाहेगी। और यह कुछ प्रेम वगैरह नहीं है। यह तो ठीक अप्रेम है। यह प्रेम का अभाव है। वह कहती है कि मैं ही तुमसे सर्वाधिक प्रेम कर रही हूं। इतने प्रेम को तुम समझने में असमर्थ हो, यह भी मैं समझ रहा हूं। इतना प्रेम कौन समझ पाएगा! यह प्रेम नहीं है। प्रेम तो वही है, जो स्वतंत्रता दे जो स्वतंत्रता छीन ले और नष्ट करे, वह प्रेम नहीं है। -- लेकिन विवाह से प्रेम पैदा होता नहीं हो नहीं सकता। विवाह तो धोखा है प्रेम का हमने प्रेम से बचने के लिए विवाह ईजाद किया है क्योंकि प्रेम खतरनाक है प्रेम का कोई भरोसा नहीं। आज है-और कल तिरोहित हो जाए। विवाह प्लास्टिक का बना है मिटता ही नहीं! मिटाओ तो नहीं मिटता। प्लास्टिक को मिटाओ प्लास्टिक का फूल है। करीब करीब शाश्वत है। ; -- मिटा न पाओगे ! ऐसा और हम सबको सदियों से यह समझाया गया है कि स्थिरता का बड़ा मूल्य है। जबकि जीवन में सभी चीजें क्षणभंगुर हैं सुबह फूल खिलता है, सांझ मुरझा जाता है। सुबह पंखुड़ियां खुलती हैं सांझ गिर जाती हैं। -- तो प्रेम तो फूल जैसा है असली फूल जैसा कब खिलेगा, कब मुरझा जाएगा कोई नहीं कह सकता। कितने दिन टिकेगा - कोई नहीं कह सकता। लेकिन विवाह के संबंध में सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि टिकेगा, टिकाऊ है। और हम टिकाऊ चीजों पर बड़ी आस्था रखते हैं। तुम बाजार में जाते हो चीजें खरीदने, तो पूछते हो, टिकाऊ है? न सौंदर्य की फिक्र है, न कला की फिक्र है। बस, एक ही चीज की फिक्र है--टिकाऊ है! टिकाऊ हो, तो चलेगा। हर चीज टिकाऊ होनी चाहिए! टिकाऊ का हमें ऐसा आग्रह पकड़ गया है! चार दिन की जिंदगी ! जिंदगी नहीं टिकती और तुम टिकाऊ चीजों से भरे ले रहे हो ! यहां जब जिंदगी ही नहीं टिकती, तो कौन-सी चीज टिकेगी? पानी का प्रवाह है। एक क्षण को भी नहीं रुकता। झूठी चीजें टिक सकती हैं सच्ची चीजें तो बहाव होंगी। सच्ची चीजों में तो परिवर्तन होगा | Page 117 of 255 -- -- http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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