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________________ ज्यों था त्यों ठहराया बज्म में नीची नजर ने राजे उल्फत कह दिया हम तो रुसबा हो रहे थे तुम भी पहचाने गए दर हकीकत अपना इल्फां है तुम्हारी मारफत खुद को जब पहचाना हमने तुम भी पहचाने गए जो यहां मौन हो कर बैठेगा, वह मुझे भी पहचान लेगा; खुद को भी पहचान लेगा। यह घटना एक साथ घटती है। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह राज अलग-अलग नहीं खुलता; एक ही साथ खुल जाता है। तू कहती है: अरे हाथ खाली ही आई! देने को उपहार न लाई! खाली हाथ, मौन, शून्य--बस, यही उपहार है। इससे बड़ा कोई उपहार नहीं। मेरे पास आओ--शून्य आओ, खाली आओ, मौन आओ--तो मिलन; तो दर्शन; तो मैं जो कह रहा हूं, उसे समझने में पल भर की देर न लगेगी। इधर मैंने कहा, इधर तुमने समझा। या यूं कहो, इधर मैं पूरा कह भी नहीं पाया, और उधर तुमने समझ भी लिया। इधर मैं कहने को ही था कि उधर तुमने समझ ही लिया। इसलिए जो यहां चुप हो कर बैठे हैं, मौन हो कर बैठे हैं, उन्हें कुछ भेद नहीं पड़ता कि मैं क्या कह रहा हूं। वे वही समझते हैं, जो मैं कहना चाहता हूं। क्योंकि जो मैं कहना चाहता हूं, वह तो कह नहीं पाता। वह तो कोई भी नहीं कह पाया है। उसे तो कहने का कोई उपाय नहीं। कल एक दंपति का पत्र अमरीका से मुझे मिला। पति प्रसिद्ध डाक्टर हैं। तीन वर्षों में जो भी संभव था अमरीका में मेरे संबंध में, वह सब उन्होंने किया। सारी किताबें पढ़ डालीं। सारे टेप सुन डाले। वीडिओ देख डाले। फिल्में देख डालीं। सारे अमरीका के आश्रमों में हो आए। सैकड़ों संन्यासियों से मिले। ध्यान करना शुरू कर दिया। लेकिन व्यस्त डाक्टर हैं--आने का समय नहीं मिल पाया। लेकिन अभी पंद्रह दिन पहले हृदय का दौरा आ गया। तो चौंके। और सोचा कि यूं तो जिंदगी किसी भी दिन खतम हो सकती है। तो तत्क्षण मुझे पत्र लिखा कि अब देर नहीं कर सकता। अब आ रहा हूं। अब मुझे इसकी भी फिक्र नहीं कि आप हिंदी में बोलेंगे, कि स्वाहिली में बोलेंगे, कि अंग्रेजी में बोलेंगे--बोलेंगे कि नहीं बोलेंगे, इसकी भी फिक्र नहीं। बस, आ रहा हूं। चुपचाप आपके पास बैठ रहना है। कुछ बोलें--तो ठीक। न बोलें--तो ठीक। किसी भाषा में बोलें; समझ में आए, तो ठीक। न समझ में आए, तो ठीक। बस, चुपचाप आपके पास बैठ रहना है। मौत ने द्वार पर दस्तक दे दी, अब और देर नहीं कर सकता। सब काम-धाम छोड़कर आ रहा हूं; जैसा का तैसा छोड़ कर आ रहा हूं। पत्नी ने भी लिखा है कि मैं पति की वजह से अटकी थी। वे कहते थे: मैं चलता हूं, मैं चलता हूं, और थोड़ी देर रुक जा। अगले महीने चलता है। एक चार सप्ताह और प्रतीक्षा कर Page 109 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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