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________________ 103. उपासकदशांग - सूत्रम् / 1 /16 104. श्रावक प्रतिक्रमण 4/4 चउत्थं अणुव्वयं बुलाओ मेहुणाओ वेरमणं" जैन बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन पृष्ठ 281 में उद्धृत उपासकदशांग 1/44 - 106. वही 107. उपासकाध्ययन, प्रस्तावना में उद्धृत - श्लोक 59 108. वही - सर्वार्थसिद्धि 7/20 109. वही - पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय / 118 110. सोमदेव विरचित उपासकाध्ययन / 405 प्रशमरति प्रकरण 22/302-308 (भावार्थ ) 111. 112. उपासकाध्ययन, प्रस्तावना में उद्धृत गाथा 338 113. सागारधर्मामृत 4/52 114. उपासकाध्ययन, प्रस्तावना पृष्ठ 81 में उद्धृत लाटी संहिता पृ. 105 115. वही 116. उपासकाध्ययन, प्रस्तावना पृष्ठ 82 117. जैन लक्षणावली | पृष्ठ 22 118. उपासकदशांग / पृ. 42 119. 120. 123. 124. 125. उपासकाध्ययन, प्रस्तावना पृष्ठ 82 श्रावकाचार संग्रह अनुशीलन, पृष्ठ 324 में उद्धृत यशस्तिलक चम्पु श्रावकाचार - - 393 121. (अ) समवाओ 11/1 (ब) दशाश्रुतस्कन्ध / 6 122. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश में उद्धृत - (अ) का. अ / टी / 403 (ब) भ.पा./ टी / 96 / 245/22 समवाओ 18/1 (अ) ठाणं 3/10 (ब) दसवे आलियं 4/14 के टिप्पण में उद्धृत झीणी चरचा / 245 प्रश्नव्याकरण /2/4/141, 142 126. 127. उत्तरज्झयणाणि 14/35 128. वही 21 /19 129. दसवे आलियं 2/6 (अ) 130. उत्तरज्झयणाणि 22 /46 (ब) उत्तरज्झयणाणि 22 /41 41
SR No.009963
Book TitleJain Vangmay me Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinodkumar Muni
PublisherVinodkumar Muni
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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