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________________ 81. 82. 83. 84. 85. 86. 87. 88. 89. 90. 91. 92. 93. 94. 95. 96. 97. 98. 99. (अ) धवला 8/341/82/5 (ब) अनगार धर्मामृत 4/172 (स) प्रशमरति प्रकरणम् कारिका 244,245 (अ) दसवेआलियं 8 / 40 के टिप्पण संख्या 107 में उद्धृत जि.चू. पृ. 287 हा.टी.प. 235 (ब) उत्तरज्झयणाणि 19 / टिप्पण संख्या 16 में उद्धृत उत्तरा, वृहद्वृत्ति, पत्र 456 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश में उद्धृत - (भाषा / टी / 118 /267/14) पा/पं. जयचन्द /120 / 240 अवबोध पृष्ठ 91 प्रश्नव्याकरण सूत्र 2/4/145 जैन बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन में उद्धृत बृहत्कल्प सूत्र 6/7-12 वही - व्यवहार सूत्र 5/21 वही बृहत्कल्प सूत्र 6 / 3 (अ) भगवती आराधना / मू / 878 (ब) अनगार धर्मामृत / 4/60 पद्मनंदि पंच विंशतिका / 12/2 सर्वार्थ सिद्धि 9/6/413/3 भगवती आराधना /वि/46/154/16 पद्मनंदि पंच विंशतिका / 12/2 (अ) दसवे आलियं 4/14 (4) आचारचूला 1/15/64 सर्वार्थ सिद्धि 7/2 पातंजल योग सूत्र 2 / 31 समयाओ 25/1 प्रश्नव्याकरण सूत्र 9/6-11 (अ) समवाओ में उद्धृत आचारचूला 15 / 43-78 (ब) आयार चूला 1/15/64-70 100. समवाओ में उद्धृत - आवश्यक नियुक्ति अवचूर्णि भाग 2, पृष्ठ 134, 135 101. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश में उद्धृत भगवती आराधना /मू./121 102. तत्त्वार्थ सूत्र 7/7 40
SR No.009963
Book TitleJain Vangmay me Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinodkumar Muni
PublisherVinodkumar Muni
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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