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________________ 3 । मेरी भावना वीरसेवा मदिर (जैनदर्शन शोध संस्थान) महावीर जयन्ती के अवसर पर अनुमोदित प्रस्ताव पर पं. जुगल किशोर मुख्तार ने 21 अप्रैल सन् 1929 को समंतभद्राश्रम की स्थापना की। इस आश्रम से अनेकान्त मासिक शोध पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। लगभग एक वर्ष बाद इस संस्था का नाम बदलकर वीर सेवा मंदिर कर दिया गया। वहाँ से शोध संस्थान के रूप में जैन साहित्य की विभिन्न शोध प्रवृत्तियों का अनुसंधान और प्रकाशन होने लगा। जैन साहित्य और इतिहास के सम्बन्धों में अन्वेषण करने वाली यह एक प्रमुख संस्था है। 17 जुलाई सन् 1954 में वीर सेवा मंदिर के वर्तमान भवन का शिलान्यास दरियागंज, दिल्ली में संपन्न हुआ। 12 जुलाई सन् 1957 को इसका लोकार्पण किया गया। संस्था का समृद्ध पुस्तकालय एवं सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों का भण्डार विद्वानों के अनुसंधान हेतु 28 जुलाई 1961 को समाज को समर्पित किया गया। वर्तमान में ग्रंथालय में प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, अंग्रेजी एवं उर्दू आदि भारतीय भाषाओं की आठ हजार से अधिक प्राचीन एवं नवीन ग्रंथों का संग्रह है। इस पुस्तकालय में 167 हस्तलिखित ग्रन्थ भी हैं जिनमें ज्योतिष, आयुर्वेद एवं इतर धर्म शास्त्रों के विषय गर्भित हैं। इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में ताड़पत्रों पर काटों से उकेरे गए हस्तलिखित ग्रन्थ भी सुरक्षित हैं। इस पुस्तकालय में दिगम्बर जैन AUDA
SR No.009961
Book TitleMeri Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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