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(६) सप्तमी विभक्ति : (Locative) अधिकरणकारक
(जिस क्षेत्र या स्थल में रहना है, जो चीज आधारभूत है, उसकी 'सप्तमी' विभक्ति उपयोजित की जाती है ।)
१) साविगाए मणं धम्मे / धम्मंसि / धम्मंमि रमइ ।
श्राविका का मन धर्म में रमता है।
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२) माया पुत्तेसु वीससइ ।
माता पुत्रों पर विश्वास रखती है ।
(७) संबोधन विभक्ति : ( Vocative) निमंत्रण, संबोधन
( किसी को बुलाने के लिए 'संबोधन' विभक्ति होती है ।)
१) निव ! पसन्नो होसु ।
हे नृप ! प्रसन्न हो जाओ ।
२) मेहा ! कालेसु वरिसह ।
हे मेघों ! समयपर बरसो ।
विभक्ति
प्रथमा
(Nominative)
द्वितीया
(Accusative)
तृतीया
(Instrumental)
पंचमी
(Ablative)
षष्ठी
(Genitive)
सप्तमी
(Locative)
संबोधन
(Vocative)
आकारान्त स्त्री. 'गंगा' शब्द
एकवचन
गंगा
(एक गंगा)
गंग
(गंगा को)
गंगाए
(गंगा ने)
गंगाए, गंगाओ
(गंगा से)
गंगा
(गंगा का )
गंगा
(गंगा में)
गंगा, गंगे
(हे गंगा ! )
अनेकवचन
गंगा, गंगाओ
( अनेक गंगा) गंगा, गंगाओ
(गंगाओं को)
गंगाहि, गंगाहिं
(गंगाओं ने)
गंगाहिंतो
(गंगाओं से)
गंगा, गंगाण
(गंगाओं का )
गंगासु, गंगासुं
(गंगाओं में)
गंगा, गंगाओ
(हे गंगाओं !)
इसी तरह साला (शाला), बाला, पूया (पूजा), देवया (देवता), कन्ना (कन्या), लया (लता), साहा (शाखा), जउणा (जमुना), भज्जा (भार्या, पत्नी), सेणा (सेना), मज्जाया (मर्यादा), नावा, छाया, विज्जा (विद्या), नेहा (स्नेहा), महुरा (मधुरा, मथुरा), किवा (कृपा, दया), पया (प्रजा), भारिया (भार्या, पत्नी), सुसीला (सुशीला) इ.