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________________ ___ पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष (२) भविष्यकाल के प्रत्यय एकवचन इहिमि, इहामि इहिसि इहिइ अनेकवचन इहिमो, इहामो इहिह इहिंति पुरुष भविष्यकाल धातु (क्रियापद) : गच्छ (जाना) एकवचन गच्छिहिमि, गच्छिहामि गच्छिहिसि गच्छिहिइ प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष अनेकवचन गच्छिहिमो, गच्छिहामो गच्छिहिह गच्छिहिति पुरुष प्रथम पुरुष सर्वनामसहित भविष्यकाल के क्रियारूप क्रियापद : भक्ख (खाना) एकवचन अनेकवचन अहं भक्खिहिमि । अहं भक्खिहामि । अम्हे भक्खिहिमो । अम्हे भक्खिहामो (मैं खाऊंगा ।) (हम खायेंगे ।) तुम भक्खिहिसि । तुम्हे भक्खिहिह । (तू खायेगी । तुम खाओगे ।) (तुम सब खाओगे ।) सा भक्खिहिइ । ते भक्खिहिंति । (वह खाएगी ।) (वे खाएँगी ।) द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष कुछ प्राकृत क्रियापद (धातु), उनके अर्थ तथा वाक्य । १) वय - बोलना । अहं निच्चं सच्चं वइस्सामि/वइहिमि । मैं हमेशा सच बोलूंगा । २) कर - करना । अम्हे जुझं करिस्सामो/करिहिमो । हम युद्ध करेंगे। ३) लह - प्राप्त होना । तुमं विउलं धणं लहिस्ससि/लहिहिसि । तुझे विपुल धन प्राप्त होगा।
SR No.009953
Book TitleJainology Parichaya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2010
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size275 KB
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