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________________ २) कण्हो महुराओ निग्गओ । - कृष्ण मथुरा से निकला । ३) रुक्खेहिंतो फलाइं पडंति । - वृक्षों से फल गिरते हैं। ५) षष्ठी विभक्ति : (Genitive) संबंधकारक (दो व्यक्ति या चीजों का 'संबंध' षष्ठी विभक्ति से सूचित होता है १) रामस्स जणणी कोसल्ला । - राम की माता कौशल्या है । २) अज्जुणो दोणस्स सीसो आसी । -- अर्जुन द्रोण का शिष्य था । ३) तस्स घरे पोत्थगाणं संगहो अत्थि । - उसके घर में किताबों का संग्रह है। ६) सप्तमी विभक्ति : (Locative) अधिकरणकारक (जिस क्षेत्र या स्थल में रहना है, उसकी विभक्ति सप्तमी' १) अम्हे भारहे वसामो । - हम भारत में रहते हैं। २) सुगो पंजरे बद्धो । - तोता पिंजडे में बंद है। ३) दाणेसु अभयदाणं सेहूं। - दानों में अभयदान श्रेष्ठ है । ७) संबोधन विभक्ति : (Vocative) निमंत्रण, संबोधन (किसी को बुलाने के लिए 'संबोधन' विभक्ति होती है ।) १) अरविंद, तत्थ गच्छ । - अरविंद, तू वहाँ जा । २) महावीर, मं रक्खसु । - हे महावीर, मेरा रक्षण करो । ३) सामली, माउयं वंदसु । - श्यामली, माता को वंदन कर ।
SR No.009952
Book TitleJainology Parichaya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2009
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size137 KB
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