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________________ ६८ ] श्रीप्रवचनसारीका | १७ पादान्तर जीव सम्पात - यदि साधुके भोजन करते हुए पैरों के बीच से पंचेद्रिय. जीव निकल जावे तो साधु भोजन तजें । १८ भाजन सम्पात - परिवेषक या भोजन देने वालेके हाथसे यदि वर्तन जमीनपर गिर पड़े तो साधु भोजन तजें ।' + १९ उच्चार - यदि भोजन करते हुए साधुके. उदरसे मल निकल पड़े तो साधु भोजन तजें ।. २० प्रसवण - यदि भोजन करते हुए साधुके पिशाब निकल पड़े तो साधु भोजन तजें । २१ अभोज्यगृहप्रवेशनं - यदि साधु भिक्षाको 'जाते हुए जिसके यहां भोजन न करना चाहिये ऐसे चांडालादिकोंके घरमें चले जांय तो उस दिन साधु भोजन न करें । i २२ पतन - यदि साधु, भोजन करते हुए मूर्छा आदि आनेसे गिर पड़ें तो भोजन न करें । २३ उपवेशन -- यदि साधु खडे २ बैठ जावें तो भोजन तजें । २४ सदंश-- यदि साधुको (सिद्धभक्तिके पीछे ) कुत्ता बिल्ली आदि कोई जंतु काट खावे । २९ भूमिस्पर्श- यदि साधु सिद्धभक्तिके पीछे अपने हाथसे भूमिको स्पर्श करलें । • २६ निष्ठीवन - यदि साधु भोजन करते हुए नाक या थूक फेकें ( अनगारधर्मामृतमें है कि स्वयं चलाकर फेकें तो अंतराय, खांसी आदिके वश निकले तो अंतराय नहीं) तो भोजन तनें । : २७. उदरकुमिनिर्गमन - यदि साधुके भोजन के समय ऊपर या नीचेके द्वारसे पेटसे कोई जन्तु निकल पड़े तो भोजन, तजें । . .
SR No.009947
Book TitlePravachan Sara Tika athwa Part 02 Charitratattvadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages384
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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