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________________ [eas यी जिल्लालाई है कि परमी सिरिया | -नयाँ तिमी हिमनवाणी में नफा त्यति ट्रम तीन जीवन परिणामों की प्राप्ति प्राप्तहोने जान है जाता है मानतः अस्यासन करेगाती और मानद भोजनापर्ने भावना मासिककरणंसफर अंतहा रहनेसे ही समय भी मात कभी सोच मंनियोफ प्रपामा ओमाराम्यग्दर्शन की प्राप्ति सस्यादर्श नहीं होता है उस समयातक मशीन नहीं पहा नामक्का समय में होजाते हैं और नरसी दर्शन तथा सम्यशीन स्वरूपण नारित्र अर्थात् स्वानुभव ... भी होता है। इन सीप अविनाभाव सम्बन्ध है । अनॅतानुबंधी (फायरिगहनीय योंकि वा सम्यग्दर्शनके साथ होनेवाली रुपाचरण स्वानुभूतिको रोकता है। उसके उपशम होते ही सम्यगुचारित्र भी होजाता है । ܝ ܕ ******* यद्यपि सम्यग्दर्शन होते हुए यथार्थ ज्ञान औरत, यथार्थ चारित्र होनाता है तथापि पूर्ण ज्ञान और पूर्ण चारित्र नहीं होता
SR No.009947
Book TitlePravachan Sara Tika athwa Part 02 Charitratattvadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages384
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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