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________________ मित्र-भेद दुनियाँ में धीर पुरुष कैसे रक्षा कर सकते हैं ? दूसरी जगह भी कहा गया है -- "स्त्रियों का बहुत साथ नहीं करना चाहिए, स्त्रियों का बल बढ़े, ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि वे पर-कटे पक्षियों के समान प्रेमी पुरुषों के साथ खेल करती हैं। "जवान स्त्रियाँ सुन्दर मुख से मीठी बातें करती हैं, और कठोर चित्त से वार करती हैं। स्त्रियों की बात में शहद रहता है, पर दिल में हलाहल महा-विष । "इसी से अल्प-सुख के लिए ठगे हुए कामी पुरुष, मिठास के लालच में भौंरे जैसे कमल का रस लेते हैं, वैसे ही उनके ओंठ चूमते हैं, और बाद में मूठ से अपनी छाती कूटते हैं । और भी. "संशयों का भँवर, अविनयों का घर, साहसों का नगर, दोषों का निवास-स्थान, सैंकड़ों कपटों से भरे हुए अविश्वासों का क्षेत्र, बड़े नर-पुंगवों के लिए भी मुश्किल से ग्रहण करने योग्य तथा सब तरह की माया की टोकरी-स्वरूप अमृत से मिश्रित विष के समान स्त्री-रूपी यंत्र धर्म के नाश करने के लिए इस लोक में किसने बनाया है ? "जिनके दोनों स्तनों में कड़ाई, आँखों में तरलता, मुख में झूठ, केश-भार में कुटिलता, वाणी में ढीलापन, जाँघों में स्थूलता, हृदय में भीरुता, प्रियजनों के प्रति, कपट-भाव हो, ऐसी मृगाक्षी स्त्रियों के दोष-समूह ही गुण गिने जाते हैं, वे मनुष्यों की प्रिय हैं ? "ये स्त्रियाँ अपना काम बनाने के लिए हँसती हैं, रोती हैं दूसरों, का अपने ऊपर विश्वास जमाती हैं, पर स्वयं दूसरों का विश्वास नहीं करतीं, इसीलिए कुलीन और शीलवान पुरुष स्त्रियों का सदा मसान के घड़े की तरह त्याग करते हैं।
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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