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________________ अपरीक्षितकारक " जैसा नाई ने किया वैसा बिना ठीक-ठीक देखे, जाने, सुने या परखे मनुष्य को काम नहीं करना चाहिए ।" इस बारे में ऐसा सुना गया है - दाक्षिणात्य जनपद में पाटलिपुत्र नाम का एक नगर है। वहां मणिभद्र नाम का सेठ रहता था । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष संबंधी काम करते-करते अभाग्य से उसका धन समाप्त हो गया । धन छीजने से उसका अपमान होने लगा और इसलिए उसे बहुत दुःख हुआ। एक बार रात में सोये-सोये वह विचार करने लगा, 'इस दरिद्रता को धिक्कार है । कहा भी है कि 6 "शील, पवित्रता, क्षमा, देने की आदत, मीठा स्वभाव, अच्छे खानदान में जन्म, ये सब गुण गरीब आदमी को नहीं शोभते । "मान, दर्प, विज्ञान, विलास अथवा सुबुद्धि ये सब चीजें जैसे धन खत्म हो जाता है वैसे ही चली जाती हैं । "जिस तरह वसन्त की हवा लगने से जाड़े की शोभा प्रतिदिन कम होती जाती है उसी तरह बराबर कुटुम्ब के पालन की चिंता से बुद्धिमानों की बुद्धि नष्ट हो जाती है । "घी, नोन, तेल, चावल, कपड़े, और ईंधन की बराबर चिंता करने से
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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