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________________ २५८ पञ्चतन्त्र इसलिए मैं कहता हूँ कि "अच्छे आदमियों की कही बातों का जो मोह से अनादर करता है, वह सिंह से जैसे ऊंट मारा गया , उसी तरह मारा जाता है।" यह सुनकर मगर ने कहा, "भद्र ! "नीति शास्त्र में चतुर लोग कहते हैं कि सात कदम साथ चलने से मित्रता होती है। इसलिए दोस्ती को आगे करके मैं जो कहता हूं वह सुन । " उपदेश देने वाले और हित चाहने वाले लोगों को इस लोक में और परलोक में दुःख नहीं होता। इसलिए उपदेश देकर मुझ कृतघ्न पर कृपा कर । कहा भी है -- ''उपकारियों के प्रति जो अच्छा व्यवहार करता है, उसके अच्छेपन का क्या गुण ? अपकारियों पर जो कृपा करता है उसे ही अच्छे लोग साधु कहते हैं।" यह सुनकर बन्दर ने कहा, "भद्र ! अगर यही बात है तो तू उसके साथ जाकर लड़ाई कर। कहा भी है-- "लड़ाई लड़ने वालों के दो अपूर्व गुण होते हैं उसे तू जान; मरने ...पर तुझे स्वर्ग मिलेगा और जीने पर घर और यश ।" • "अच्छे लोगों से झुककर, वीर को भेद से, नीच को थोड़ा दे-लेकर, ' और बराबरी की ताकत वाले को पराक्रम से जीतना चाहिए।" मगर ने कहा , “यह कैसे ?" बन्दर कहने लगा-- सियार और सिंह की कथा "किसी वन में महाचतुरक नाम का एक सियार रहता था । एक समय वन में एक मरा हुआ हाथी उसे मिला । उसके आसपास वह चक्कर मारने लगा, पर उसका मोटा चमड़ा वह चीर न सका । उसी समय इधर-उधर घूमता हुआ कोई सिंह वहाँ आ गया । उसे आया देखकर सियार ने जमीन से सिर लगाकर , हाथ जोड़कर और गिड़गिड़ाकर उससे कहा, “स्वामी !
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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