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________________ فاهم मित्र-भेद है लाभ नहीं । कहा भी है-- "न झुकने वाली लकड़ी झुकती नहीं, पत्थर से छुरे का काम नहीं लिया जा सकता। इस बारे में तू सूचीमुख पक्षी का विचार कर । जो उपदेश लायक नहीं उसे उपदेश नहीं देना चाहिए।" दमनक ने कहा, “ यह कैसे ?" करटक कहने लगा-- सूचीमुख और बंदर की कथा "किसी पहाड़ी देश में बन्दरों का एक झुंड रहता था । एक बार हेमन्त ऋतु में ठंडी हवा के छूने से जिनका शरीर कांप रहा था और जिनके ऊपर मेघ की धाराएं गिर रही थीं ऐसे उस दल के बन्दरों को किसी तरह शांति नहीं मिल रही थी। ऐसे समय कुछ बन्दर अंगारों की तरह लाल घुमचियों को इकट्ठा कर आग जलाने की इच्छा से उन्हें फूंकते हुए आस-पास बैठ गए। इतने में सूचीमुख नाम के एक पक्षी ने उनके इस वृथा-श्रम को देखकर कहा, "अरे ! तुम सब-के-सब मूर्ख हो । ये अंगारे नहीं घुमचियां हैं फिर इस वृथा परिश्रम से क्या लाभ ? इससे ठंड से तुम्हारी रक्षा नहीं हो सकती। तुम सब बिना हवा के किसी वन-प्रदेश, गुफा अथवा पर्वत कन्दरा की खोज करो, क्योंकि अब भी बादल घिरे हुए हैं ।" उनमें से एक बुड्ढे बन्दर ने कहा, "अरे मूर्ख ! इसमें तेरा क्या ? इसलिए तू भाग जा। कहा है कि "जिसके काम में बार-बार विघ्न आता हो,तथा हारे हुए जुआरी से जो अपना भला चाहता हो, ऐसे बुद्धिमान मनुष्य को बोलना नहीं चाहिए। और भी "फिजूल कष्ट उठाते हुए शिकारी और संकट में पड़े मूर्ख के साथ जो बातचीत करता है उसे नुकसान पहुंचता है।" । पर वह पक्षी उस बूढ़े बन्दर का अनादर करते हुए दूसरे बन्दरों से कहने लगा, “अरे, वृथा क्यों कष्ट उठाते हो ?" उस पक्षी के किसी तरह
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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