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________________ २१ अन्य अनेको नय ७३३ २. सर्व नयो का मूल नयो मे अन्तर्भाव २६ नियति नय "आत्मद्रव्य नितिनय से नियत स्वभाव वाला भासता है-जैसे ऊपता अग्नि का नियमित स्वभाव है ।" स्वभाव की नित्यता दर्शाने के कारण आगम पद्धति के 'सत्ता ग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक' नय मे और अध्यात्म पद्धति के 'शुद्ध निश्चय' नय मे गर्भित किया जा सकता है । २७ अनियति नय-- ___"आत्मद्रव्य अनियति नय से अनियत स्वभाव वाला भासता हैजैसे अनिययित ऊष्णता वाला जल।" स्वभाव की अनित्यता दशाने के कारण आगम पद्धति के 'उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध' द्रव्यार्थिक' नय में तथा अध्यात्म पद्धति के 'अशद्ध सद्भ त व्यवहार' नय मे गर्भित होता है । २८ स्वभाव नय ___'आत्मद्रव्य स्वभाव से संस्कार का निरर्थक करने वाला हैजिसकी नोक किसी ने बनाई नही ऐसे काटे के भाति ।" निमित्त नैमित्तिक भावों से निरपेक्ष त्रिकाली शुद्ध स्वभाव का ग्रहण करने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'स्व चतुष्टय ग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक व संग्रह नय मे तथा अध्यात्म पद्धति की 'शुध्द निश्चय'नय मे गर्भित होता है । २६ अस्वभाव नयः ''आत्मद्रव्य अस्वभाव नय से सस्कार को सार्थक करने वाला हैलुहार के द्वारा निकाली गई है नोक जिस मे ऐसे तीर की भाति ।" पर पदार्थकृत निमित्त नैमित्तिक भावों मे अद्वैत दर्शाने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति में गर्भित नही किया जा सकता । अध्यात्म पद्धति में यह 'असदभूत व्यवहार' नय में गर्भित होता है ।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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