SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 544
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ द्रव्यार्थिक नय सामान्य ५१६ १३ उत्पाद व्यय सापेक्ष सत्ता ग्राहक अशुद्ध द्रव्याथिक नय अशुद्ध नय है अर्थात उत्पाद व्यय सापेक्ष सत्ता ग्राहक अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय है। २ आ.प ७।१७१ "उत्यादव्ययसापेक्षोऽशुद्ध द्रव्यार्थिको, यथैकास्मिन् समये द्रव्यमुत्यादव्ययघ्रौव्यात्मकम् ।” अर्थ- उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय ऐसा है, जैसे कि एक ही समय मे द्रव्य को उत्पाद व्यय प्रौव्यात्मक बताना । उपरोक्त प्रकार से द्रव्य की ब्रुव अखण्डित सत्ता में उत्पाद व व्यय देखने के कारण यह उत्पाद व्यय सापेक्ष है। उत्पाद व्यय मान लेने पर उसकी नित्यता कुछ कलकित सी हुई प्रतीत होती है इसलिये अशुद्ध है । उत्पाद व्यय वताकर भी सत्ता सामान्य को ही दर्शाने की मुख्यता है इसलिये सत्ता ग्राहक है । सामान्य एक नित्य द्रव्य का परिचय देने के कारण द्रव्यार्थिक है । अतः 'उत्पाद व्यय सापेक्ष सत्ता ग्राहक अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय' ऐसा इसका नाम सार्थक है । यही इस नय का कारण है। इससे पहिले वाले नय के द्वारा वस्तु को उत्पाद व्यय से निरपेक्ष केवल ध्रुव सत्ता रूप दर्शाया गया था। उसे पढकर आपको कही यह भ्रम न हो जाये, कि वस्तु तो कूटस्थ नित्य है, और यह परिवर्तन शील दृष्टि व्यक्तिमे भ्रम मात्र है, दृष्टि का विकार है, आपके इस भ्रम के शोधनार्थ ही उस नय के साथ साथ अनित्यता दशनि वाले इस नय का होना आवश्यक है ! नित्यत्व या ध्रुवत्व तो उस वस्तु का अंग है, पर सम्पूर्ण वस्तु नही । उस के साथ साथ उत्पाद व व्यय भी उसी वस्तु के ही अग है । ये परिवर्तनशील पर्याये भ्रम नही है, बल्कि सत् हैं । इन तीनों अगो से समवेत ही वस्तु है । इस प्रकार
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy